- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी -
मुंबई। श्राद्ध का श्रद्धा के साथ गहरा संबंध है इसीलिए कहा जाता है कि...पितरों के सम्मान में श्रद्धा से श्राद्ध करें। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से पितरों के दिन प्रारंभ होते है जो अमावस्या तिथि तक रहते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पितरों का पितृ पक्ष के साथ विशेष संबंध माना गया है एवं धर्मग्रंथों के अनुसार अपराह्न व्यापिनी तिथि में ही श्राद्ध करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध कर्म परलोक में सूक्ष्म शरीर धारी जीव की तृप्ति करता है और श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होकर शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्राद्ध के दिन....
पूर्णिमा श्राद्ध - 17 सितम्बर 2024, मंगलवार
प्रतिपदा श्राद्ध - 18 सितम्बर 2024, बुधवार
द्वितीया श्राद्ध - 19 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार
तृतीया श्राद्ध - 20 सितम्बर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी श्राद्ध - 21 सितम्बर 2024, शनिवार
पंचमी श्राद्ध - 22 सितम्बर 2024, रविवार
षष्ठी श्राद्ध - 22 सितम्बर 2024, रविवार
सप्तमी श्राद्ध - 23 सितम्बर 2024, सोमवार
अष्टमी श्राद्ध - 24 सितम्बर 2024, मंगलवार
नवमी श्राद्ध - 25 सितम्बर 2024, बुधवार
दशमी श्राद्ध - 26 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार
एकादशी श्राद्ध - 27 सितम्बर 2024, शुक्रवार
द्वादशी श्राद्ध - 29 सितम्बर 2024, रविवार
त्रयोदशी श्राद्ध - 30 सितम्बर 2024, सोमवार
चतुर्दशी श्राद्ध - 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ अमावस्या - 2 अक्टूबर 2024, बुधवार
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