मुंबई। बुधवार को जन्मे व्यक्ति पिछले जन्म में श्रेष्ठ कलाकार रहे होंगे, इस जन्म में उत्तम व्यवसायी हो सकते हैं! बुधवार को जन्मे व्यक्ति का संबंध बुध ग्रह से होता है, जो कला, संचार, बुद्धिमत्ता, वाणिज्य आदि का प्रतीक है. इस दिन जन्मे व्यक्ति अक्सर अपने जीवन में बुद्धिमत्ता और वाक्क्षमता का उपयोग करके सफलता प्राप्त करते हैं।
इंसान मरने के बाद धन-दौलत साथ लेकर नहीं जाता है, लेकिन उसके पाप-पुण्य, उसका ज्ञान, गुण-अवगुण, लोभ, मोह, क्रोध जैसी आदतें, अहसास आदि अपने साथ ले जाता है और वही साथ लेकर जन्म भी लेता है।
पूर्व जन्म के कर्मों के सापेक्ष इस जन्म में बुध का प्रभाव तीन तरह का होता है- कारक, सम और अकारक, यदि बुध कारक है तो व्यक्ति अच्छा लेखक, पत्रकार, कलाकार, व्यवसायी होता है, क्योंकि.... बुध के गुण ऐसे व्यक्ति में जन्म से ही होते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पिछले जन्म में बुधवार को जन्मे व्यक्ति बुद्धिमान और संचार करने में सक्षम व्यक्ति रहे हो सकते हैं, जो अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग करके अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते थे। बुधवार को जन्मे व्यक्ति पिछले जन्म में श्रेष्ठ विद्वान, लेखक, कवि, साहित्यकार, व्यवसायी, संचार विशेषज्ञ, पत्रकार, शिक्षक या प्रोफेसर रहे हो सकते हैं।
बुधवार को जन्में व्यक्तियों को जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता औ उत्तम स्वास्थ्य के लिए देवी नवदुर्गा त्रिपुरा सुंदरी की पूजा-आराधना करनी चाहिए, नियमितरूप से श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ करना चाहिए।
॥ श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा ॥
॥ शिव उवाच ॥
देवि त्वं भक्तसुलभेसर्वकार्यविधायिनी। कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायंब्रूहि यत्नतः॥
॥ देव्युवाच ॥
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामिकलौ सर्वेष्टसाधनम्। मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥
॥ विनियोगः ॥
ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्रस्यनारायण ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः, श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः।
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसिदेवी भगवती हिसा। बलादाकृष्य मोहायमहामाया प्रयच्छति॥1॥
दुर्गे स्मृताहरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृतामतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणिका त्वदन्या सर्वोपकारकरणायसदार्द्रचित्ता॥2॥
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥3॥
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥4॥
सर्वस्वरूपे सर्वेशेसर्वशक्तिसमन्विते। भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गेदेवि नमोऽस्तु ते॥5॥ रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रूष्टातु कामान् सकलानभीष्टान्। त्वामाश्रितानां न विपन्नराणांत्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥6॥
सर्वाबाधाप्रशमनंत्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। एवमेव त्वयाकार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्॥7॥
॥ इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा सम्पूर्णा ॥
-प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर
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