उन्होंने आगे कहा कि भारत माता के प्रति भक्ति का भाव और भारत को अवतरित
करने के लिए अपने को बदलना होगा। अपने को बदलने के लिए संकल्प जरूरी है,
संकल्प के मुताबिक, अपने को बनाना साधना है। इसके लिए निष्ठुर और कठोर भाव
से अपनी एक एक चीज का परीक्षण करना होगा। इसमें मन सबसे ज्यादा बाधा डालता
है, लिहाजा उससे बचना होगा। भागवत ने हिंदू धर्म का जिक्र करते हुए कहा कि
महात्मा गांधी ने कहा था, हिंदू धर्म सत्य की सतत साधना है। इस सत्य की
सतत् साधना में जीना होगा। ये भी पढ़ें - जो भी यहां आया बन गया "पत्थर"
अफसोस की बात यह है कि आजकल राजनीति में सत्य के
बजाय असत्य का प्रयोग ज्यादा होने लगा है, प्रधानमंत्री तक पर असत्य बोलने
का आरोप लगता है और संसद में उनके मंत्री सफाई देकर इस ओर इशारा करते हैं
कि वह तो चुनावी जुमला था। यानी प्रधानमंत्री ने जो कहा, उसे सत्य न माना
जाए। ऐसे में भागवत के उपदेश किसके लिए हैं, यह गहरे मंथन का विषय है। इस
मौके पर साध्वी ऋतंभरा, संघ के भैयाजी जोशी सहित अनेक लोग मौजूद रहे। लाल
पत्थर से बने मंदिर में भारतमाता की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित है।
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