सिहोर। सीहोर के ग्राम लसूड़िया परिहार में एक अनोखी परंपरा का आयोजन होता है, जिसे सांपों की अदालत कहा जाता है। यहाँ सांप स्वयं आते हैं और बताते हैं कि उन्होंने किस व्यक्ति को क्यों काटा। इस चमत्कारिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, और हर साल दीपावली के दूसरे दिन, अर्थात् पड़वा पर, यह नजारा देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।
सांप ने कहा, "मेरी पूछ पर रखा था पैर, इसलिए काटा।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ग्राम लसूड़िया परिहार में आज भी लोग सर्पदंश से पीड़ित होकर स्वस्थ होने के लिए मंदिर का रुख करते हैं। इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन यहाँ आने वाले लोगों के लिए यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान बन चुका है, जो पिछले 100 वर्षों से चला आ रहा है। इस दौरान, सांप मानव शरीर में आते हैं और डसने का कारण भी बताते हैं। किसी का कहना होता है कि "पूंछ पर पैर रखा था," तो किसी का कहना है "परेशान किया था।"
हर साल, इस अद्भुत अदालत का नजारा देखने के लिए भारी भीड़ जमा होती है। आज शुक्रवार को यहाँ का माहौल और भी अद्भुत था। जैसे ही सांप की आकृति बनी थाली को नगाड़े की तरह बजाना शुरू किया गया, सांप के काटे गए पीड़ित झूमने लगे। सभी पीड़ित एक-एक कर पंडित के सामने आते हैं। मान्यता है कि इस समय पीड़ित के शरीर में वही नाग होता है, और पंडित उस नाग से पूछते हैं कि उसने क्यों काटा। इस दौरान सांप भी अपना कारण बताते हैं, और पीड़ित यह वचन देते हैं कि वे कभी किसी सांप को परेशान नहीं करेंगे।
सैकड़ों पीड़ितों के उपचार के बाद यहाँ लोगों की आस्था बढ़ती जा रही है। इस अद्भुत अनुभव के लिए सिर्फ पीड़ित ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में दर्शक भी यहाँ पहुंचते हैं। यह परंपरा न केवल सांपों और इंसानों के बीच एक अद्भुत संबंध को दर्शाती है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और आस्था का भी प्रतीक है।
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