भोपाल! मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला जारी है, बीते दो
दिनों में तीन किसानों ने कर्ज और साहूकारों से परेशान होकर आत्महत्या कर
ली। रविवार की सुबह सागर जिले में कर्ज से परेशान एक किसान ने ट्रेन से
कटकर जान दे दी, वहीं शुक्रवार-शनिवार के दौरान दो किसानों ने जान दी। 28
दिनों में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढक़र 45 हो गई है।
गढ़ाकोटा थाना क्षेत्र के पिपरिया गांव के किसान टेकराम कुर्मी (48) छह
एकड़ जमीन का मालिक था। परिजनों के मुताबिक, उस पर बैंक और साहूकार का कर्ज
था। उसकी फसल भी बर्बाद हो गई थी, जिस कारण वह तनाव में था। वह रविवार की
सुबह टहलने निकला, कुछ देर बाद ग्रामीणों ने परिवार को सूचना दी कि गिरवर
रेलवे स्टेशन के पास टेकराम ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।
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गढ़ाकोटा
थाने के प्रभारी आर एन तिवारी ने किसान के ट्रेन के आगे कूदकर जान देने की
पुष्टि की, लेकिन कहा कि टेकराम की आत्महत्या का कारण सामने नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि यह मामला रेलवे क्षेत्र का है, लिहाजा इस पूरे मामले की
जांच जीआरपी जांच कर रही है। वहीं विदिशा के कुरवाई थाना क्षेत्र में
शनिवार को झलकन सिंह (33) ने कर्ज से परेशान होकर कीटनाशक पीकर आत्महत्या
कर ली। झलकन के परिजनों का कहना है कि उसकी 11 बीघा जमीन है, मगर फसल
लगातार चौपट हो रही थी। उसने कई लोगों से कर्ज ले रखा था, लेकिन चुकाने में
समक्ष न होने के कारण काफी तनाव में था।
कुरवाई थाने की प्रभारी
शकुंतला बामनिया ने रविवार को बताया कि वे स्वयं झलकन की पत्नी रानी से
मिली हैं, मगर उसने कर्ज का जिक्र तक नहीं किया। रानी बीमार रहती है, इसलिए
आशंका है कि पत्नी की बीमारी के चलते उसने आत्महत्या की हो। उसकी तीन वर्ष
की बेटी भी है। इसी तरह मुरैना जिले के घुसगवां में शुक्रवार की रात को
मनीराम (45) ने सल्फास खा लिया। हालत बिगडऩे पर उसे स्थानीय अस्पताल ले
जाया गया, फिर वहां से ग्वालियर ले जाया जा रहा था, मगर देर रात को ही
रास्ते में उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि चार लाख रुपये का कर्ज
और 50 हजार का बिजली बिल आने से मनीराम हमेशा तनाव में रहने लगा।
वहीं
अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम, रेवेन्यू) प्रदीप तोमर ने
संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि वे किसान की आत्महत्या की वजह का पता
लगा रहे हैं। ज्ञात हो कि अब पुलिस में यह रिपोर्ट नहीं लिखी जाती कि किसी
किसान ने ‘कर्ज से परेशान होकर’ जान दे दी, क्योंकि पूरा महकमा ऊपरी आदेश
का पालन करने में जुटा है। इससे पहले, 5 जुलाई को तीन किसानों ने आत्महत्या
कर ली थी। प्रदेश की भाजपा सरकार ने स्पष्ट कहा है कि वह किसानों का कर्ज
माफ नहीं करेगी।
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