जबलपुर। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लडी जा रही है। मध्य प्रदेश में शहरी इलाके से लेकर गांव के लोग तक कोरोना को मात देने के लिए तैयार है। जबलपुर जिले का बिलखरवा गांव इसका उदाहरण है। यहां जहां लोग कोरोना से मुकाबला करने मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर पर जोर दे रहे है तो वहीं टीकाकरण में भी लगे है। जबलपुर जिले के शहपुरा विकासखंड के करीब 1698 लोगों की आबादी वाली ग्राम पंचायत बिलखरवा नई इबारत लिखकर रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग 12 से के करीब स्थित बिलखरवा ग्राम पंचायत में पहुंचते ही किसी आदर्श ग्राम में होने का एहसास होता है। सुंदर और शानदार फूल-पत्तियों से सुसज्जित एक ही परिसर में यहां ग्राम पंचायत कार्यालय, प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उचित मूल्य दुकान और सामुदायिक स्वच्छता भवन बना है।
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इस ग्राम पंचायत के लोग जहां साफ-सफाई, व्यवस्थाओं केा लेकर जितने जागरुक है, उतने ही अपनी सेहत के प्रति भी सजग है। कोरेाना आया तो यहां के लोगों ने उसे मात देने की ठान ली।
पंचायत सचिव महेन्द्र पटेल ने बताया कि कोरोना काल के दौरान ग्रामीणों को जनता कर्फ्यू के पालन, मास्क लगाने और साबुन से हाथ धोने की निरंतर समझाइश दी गई। ग्रामीणों को टीकाकरण हेतु भी प्रेरित किया गया, जिस वजह से करीब 85 फीसदी ग्रामीणों को कोरोना का टीका लगवाया जा चुका है।
इस ग्राम पंचायत केा भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार प्राप्त किया है। अपनी उपलब्धियों और बेहतर कार्य की वजह से बिलखरवा आज अन्य पंचायतों के लिए मिसाल बन गई है।
ग्राम पंचायत बिलखरवा की प्रशासनिक समिति की प्रधान काशी बाई ने बताया कि ग्राम पंचायत में सरस्वतीघाट, भीटा व बिलखरवा तीन गांव हैं। पूरी ग्राम पंचायत खुले में शौच से मुक्त है अर्थात हर घर में शौचालय बना है। पंचायत के हर गली-मोहल्ले में सीमेन्टेड सड़कें बनी हैं।
उन्होंने आगे बताया कि गांव के लेाग कोरोना को लेकर सजग है, यही कारण है कि यहां कोरोना अपना असर नहीं दिखा पाया। यहां कोरोना केा रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे है वहीं लोग टीकाकरण भी करा रहे है।
इस पंचायत में प्रधानमंत्री आवास योजनांतर्गत 45 आवास बने हैं, जिनमें लोग रह रहे हैं। साथ ही 136 हितग्राहियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत पेंशन सहायता मुहैया कराई जा रही है।
भेड़ाघाट चौक निवासी मनोज साहू कहते हैं कि पुरस्कार हेतु चयन के पहले विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए यहां कई टीमें आईं और यहां हुए कार्यों को देखकर चकित रह गईं। यही वजह रही की उन्हें अपनी कलम से कई काम के लिए शत-प्रतिशत नंबर देने के लिए मजबूर होना पड़ा। यहां जनहितैषी कार्य भी खूब हुए हैं।
--आईएएनएस
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