आने वाली पीढ़ी
इस रेल लाइन के बारे में आसानी से जान सके इसके लिए रेलवे डॉक्यूमेंटरी बना
रहा है। इसकी शूटिंग भी शुरू हो चुकी है। झांसी मंडल के डीआरएम संदीप
माथुर का कहना है कि यह नैरोगेज गाड़ी इस क्षेत्र के ग्रामीणों की लाइफ
लाइन है। रेलवे चुनौतियों की बीच इसका संचालन कर रहा है। इसके कलपुर्जे
काफी महंगे पड़ते हैं और ऑर्डर देने पर ही उपलब्ध होते हैं।
इस गाड़ी की शुरुआत सिंधिया राजघराने ने की थी और इसे चलते हुए सौ साल से ज्यादा हो चुके हैं। यह गाड़ी व्यापारियों की माल की ढुलाई के साथ लोगों के आवागमन के मकसद से शुरू की गई थी। आज भी यह गाड़ी लोगों की जिंदगी को खुशहाल बनाने में लगी है।
इस रेल लाइन पर चलने वाली गाडिय़ों पर गौर करें तो ग्वालियर से हर रोज दो गाडिय़ां सबलगढ़ और एक गाड़ी श्योपुर तक जाती है। यही तीन गाडिय़ां श्योपुर व सबलगढ़ से लौटकर ग्वालियर आती हैं। इन गाडिय़ों से हर रोज औसतन चार से पांच हजार लोग यात्रा करते हैं। इन गाडिय़ों के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि इन गाडिय़ों की छत पर तो लोग सवारी करते ही हैं, दरवाजे पर भी बड़ी संख्या में लोग लटके नजर आ जाते हैं।
(IANS)
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