भोपाल। करीब 13 साल बाद मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसी क्रम में सीएम कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के उस फैसले पर तत्काल रोक लगा दी है, जिसमें हर महीने के पहले कामकाजी दिन राज्य सचिवालय में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ गाने की परंपरा शुरू की गई थी। सरकार का कहना है कि ‘वंदे मातरम’ गाना किसी की राष्ट्रभक्ति का परिचय नहीं हो सकता। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस पर रोक लगाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिनके कार्यकाल में 14 साल पहले इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। शिवराज ने कांग्रेस सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि राष्ट्रगीत लोगों के दिलों में समाई राष्ट्रभक्ति की भावना को नई ऊर्जा देता है।
उन्होंने प्रदेश कांग्रेस सरकार के फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और कहा, ‘कांग्रेस भूल गई है कि सरकारें आती-जाती हैं, लेकिन देश और देशभक्ति से बढक़र कुछ भी नहीं है।’ उन्होंने कैबिनेट मीटिंग से पहले और वल्लभ भवन में हर माह के पहले दिन राष्ट्रगीत गाए जाने की परंपरा फिर से शुरू करने की मांग करते हुए यह भी कहा कि बीजेपी के सभी 109 विधायक 7 जनवरी, 2019 को मध्य प्रदेश सचिवालय में ‘वंदे मातरम’ गाएंगे।
वहीं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, ‘हमारा मानना है कि हम सभी दिल से राष्ट्रवादी हैं। किसी एक दिन वंदे मातरम गाकर कोई राष्ट्रवादी नहीं हो सकता।’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार का इरादा राष्ट्रगीत के प्रति किसी तरह का विरोध दर्शाना नहीं है, बल्कि यह निर्णय इस आदेश को नए सिरे से लागू करने के लिए लिया गया है। उन्होंने सवालिया लहजे में यह भी कहा कि जो वंदे मातरम नहीं गाते हैं, क्या वे देशभक्त नहीं हैं।
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