भोपाल । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के
बीच सरकारी मशीनरी में टकराव के हालात बनने लगे हैं, स्थितियां तो यहां तक
पहुंच गई हैं कि कई जिम्मेदार चिकित्सकों ने नाराजगी जताई है और उन्होंने
सेवाएं देने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
राज्य में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है और मरीजों की संख्या भी बढ़ी
है, इसके चलते चिकित्सा जगत और प्रशासनिक अमले पर दबाव भी बढ़ा है। इन्हीं
स्थितियों ने प्रशासनिक अमले और चिकित्सकों के बीच टकराव के हालात बना दिए
हैं। प्रशासनिक अमला चिकित्सा जगत पर बेहतर काम करने का दबाव बना रहा है तो
दूसरी ओर चिकित्सक अपनी सीमाओं के अंदर रहकर काम करने की बात कह रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इंदौर
में तो जिलाधिकारी मनीष सिंह और जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पूर्णिमा
गडरिया के बीच इतना तनाव बढ़ गया कि उन्होंने इस्तीफे तक की पेशकश कर डाली
है। कहा जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे संक्रमण के चलते
जिलाधिकारी मनीष सिंह के सामने एक मरीज ने शिकायत दर्ज कराई थी कि वह कई
दिन से फीवर क्लीनिक के चक्कर लगा रहा है, मगर उसे दवाई नहीं मिल रही है,
इसको लेकर कलेक्टर ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी को फोन किया और उसके कुछ देर
बाद ही डॉ. गडरिया ने इस्तीफा भेज दिया।
एक तरफ जहां कलेक्टर और
स्वास्थ्य अधिकारी के बीच हुए विवाद के बाद स्वास्थ्य अधिकारी ने इस्तीफा
भेज दिया तो दूसरी ओर मानपुर के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आर एस तोमर ने एसडीएम
अभिलाश मिश्रा पर अभद्रता का आरोप लगाते हुए अपनी सेवाएं देने में असमर्थता
जताई है।
राज्य के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह की बातें सामने आ
रही हैं। प्रशासनिक अमले और चिकित्सकों के बीच समन्वय नहीं है। चिकित्सकों
से मरीजों के परिजन कई जगह अभद्रता कर रहे हैं तो प्रशासन के अधिकारी
चिकित्सकों का साथ देने को तैयार नहीं है और यही कारण है कि लगातार
स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। आम लोगों का मानना है कि प्रशासनिक अमले और
चिकित्सकों के बीच समन्वय आवश्यक है अगर ऐसा नहीं रहा तो राज्य में कोरोना
को नियंत्रित करना आसान नहीं होगा।
--आईएएनएस
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