खजुराहो (मध्य प्रदेश)। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो की पहचान कामुक
मूर्तियों के कारण है। यहां का जीवन दर्शन युवाओं और नव युगल में नई ऊर्जा
का संचार कर देता है, मगर इन दिनों यह नगरी नव युगलों को देने वाली ऊर्जा
से कहीं ज्यादा ‘गर्म’ है। यहां तापमान 47 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मई माह की शुरुआत तक यहां प्रतिदिन औसतन 50 युगल पहुंचते थे,
वर्तमान में यह संख्या घटकर लगभग 30 रह गई है। इनमें घरेलू पर्यटकों की
संख्या बहुत कम है।
पर्यटन कारोबार से जुड़े अजय कश्यप ने कहा कि
बीते 20 दिनों में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में 40 फीसदी गिरावट
आई है और यह सभी युवा कपल होते हैं।
मध्य प्रदेश के समस्याग्रस्त
बुंदेलखंड इलाके की इस ऐतिहासिक नगरी के मंदिर हर वर्ग के आकर्षण का केंद्र
है। यहां देश और दुनिया के पर्यटकों की आमद बनी रहती है, मगर इन दिनों
यहां का नजारा दीगर मौसमों की तुलना में जुदा है। सडक़ों पर सन्नाटा पसरा
पड़ा है, पर्यटकों की संख्या नगण्य है और यहां का पर्यटन कारोबार बुरी तरह
प्रभावित है।
स्थानीय गाइड सचिन द्विवेदी कहते हैं, ‘‘खजुराहो के
मंदिरों को लेकर आमजन में धारणा है कि यहां सिर्फ कामसूत्र पर आधारित
मूर्तियांं हैं, मगर पूरी तरह ऐसा नहीं है। यह बात सही है कि बड़ी संख्या
में कामुक मूर्तियां हैं, इसकी वजह भी है क्योंकि इंसान के जीवन दर्शन में
भी तो काम का हिस्सा है। इसके बिना इंसानी जीवन अधूरा है।’’
द्विवेदी
कहते हैं, ‘‘खजुराहो के मंदिरों पर उकेरी गई मूर्तियां नव युगल के जीवन
में नया रस भरने का काम करती है। खजुराहो की स्थापत्य कला को लेकर लोगों
में खास जिज्ञासा होती है और इसी के चलते देशी-विदेशी नव युगलों का बड़ी
संख्या में यहां आना होता है। कई बार तो नव युगल इन मूर्तियों को अपने जीवन
से जोड़ लेते हैं, और लंबा विमर्श तक कर जाते हैं। इन दिनों वैसे नजारे
देखने को कम ही मिल रहे हैं, इसकी वजह मूर्तियों से मिलने वाली ऊर्जा से
कहीं ज्यादा यहां का वातावरण गर्म जो है।’’
खजुराहो के मंदिरों का
इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। इन मंदिरों का निर्माण चंदेल राजाओं के
काल में हुआ। दरबारी कवि चंदबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ में चंदेल वंश की
उत्पत्ति के बारे में बताया है कि काशी के राजपंडित की बेटी हेमवती बेहद
खूबसूरत थी, वह गर्मियों के मौसम में रात के समय कमल-पुष्पों से भरे एक तालाब
में नहा रही थी तो भगवान चन्द्र उनकी ओर आकर्षित हो गए और उन्होंने धरती पर
मानव रूप धारण कर हेमवती का हरण कर लिया। हेमवती एक विधवा थी। उसने
चन्द्रदेव पर चरित्र हनन करने और जीवन को नष्ट करने का आरोप लगाया।
पृथ्वीराज
रासो में आगे लिखा है कि चन्द्रदेव को अपनी गलती का पश्चाताप हुआ और
उन्होंने हेमवती को वचन दिया कि वह एक वीर पुत्र की मां बनेगी। चन्द्रदेव
के कहने पर हेमवती ने पुत्र को जन्म देने के लिए अपना घर छोड़ दिया। इसके
बाद उसने एक छोटे से गांव में पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम चंद्रवर्मन रखा
गया। चन्द्रवर्मन को चंद्रदेव ने पारस पत्थर भेंट किया और उसको खजुराहो का
राजा बना दिया। चंद्रवर्मन ने कई युद्घों में जीत हासिल की। उसने अपने
उत्तराधिकारियों के साथ मिलकर खजुराहो में तालाबों और उद्यानों से घिरे हुए
85 अद्वितीय मंदिरों का निर्माण करवाया। वर्तमान में 25 मंदिर ही पूर्ण
रूप में अस्तित्च में हैं।
खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिर
पर्यटकों के खास आकर्षण का केंद्र होते हैं। होटल कारोबार से जुड़े
शैलेंद्र उपाध्याय ने कहा, ‘‘इन दिनों खजुराहो आने वाले पर्यटकों की संख्या
नगण्य है। सप्ताह में सिर्फ तीन दिन ही हवाई उड़ान है और एक उड़ान से औसत
तौर पर 15 से 20 पर्यटक ही आते हैं। इस तरह एक सप्ताह में हवाई मार्ग से
100 से भी कम पयर्टकों की आमद हो रही है। अन्य पर्यटक सडक़ और रेल मार्ग से
आते हैं, उनकी भी संख्या बहुत कम है।’’
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