भोपाल | मध्यप्रदेश में इन दिनों सरकारी मशीनरी में कसावट लाने की सरकार की कोशिशें जारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरी तरह जमीनी नब्ज को टटोलने में लग गए हैं। यही कारण है कि अब जहां उन्हें खामियां नजर आती हैं, वे उन अधिकारियों पर भी चाबुक चलाने में पीछे नहीं है जो इसके लिए जिम्मेदार है। राज्य में लगातार नौकरशाही के बेलगाम होने की बातें सामने आती रही हैं। इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं का लाभ भी निचले तबके को हासिल करने में कठिनाइयों के दौर से गुजरना होता है। लगातार आ रही शिकायतों के कारण ही मुख्यमंत्री चौहान का रुख बदला हुआ है। वे लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जहां जिलों की समीक्षा कर रहे हैं तो वहीं विभिन्न इलाकों में जन सेवा अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बीते एक पखवाड़े पर ही नजर दौड़ाएं तो मुख्यमंत्री ने आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने एक दर्जन अधिकारियों पर कार्रवाई भी की। लगभग हर कार्यक्रम में उन्होंने दो अधिकारियों को निलंबित कर यह संदेश देने की कोशिश की कि सरकार किसी भी तरह की सरकारी मशीनरी की लापरवाही को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है। एक तरफ जहां वे लापरवाह कर्मचारियों-अधिकारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं तो वहीं उन अधिकारियों-कर्मचारियों की पीठ भी थपथपाई जिनके कामकाज से आमजन को राहत मिल रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से कम का समय बचा है और मतदाताओं के बीच सरकार की छवि सुधारने का सबसे आसान और बेहतर तरीका सरकारी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त करना है। मुख्यमंत्री भी इस बात को जानते हैं कि सरकारी मशीनरी में सुधार लाकर प्रदेश की जनता का दिल जीतना आसान है और उसी के चलते वे कार्रवाई करने में भी हिचक नहीं दिखा रहे हैं।(आईएएनएस)
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