भोपाल | मध्य प्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव से पहले सारी जमावट अपने मनमाफिक कर जनता के बीच सरकार की छवि को दुरुस्त करना चाहते हैं। इसी क्रम में उन्होंने कलेक्टर्स व कमिश्नर कॉन्फ्रेंस बुलाई है। पहले दिन वे इस बैठक में अफसरों के कामकाज से न केवल संतुष्ट दिखे बल्कि गदगद भी थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ज्ञात हो कि सरकार और भाजपा संगठन विधानसभा चुनाव को लेकर गंभीर है और लगातार जमीनी स्तर पर काम किया जा रहा है, मंत्रियों से लेकर विधायकों की वन-टू-वन बैठक हो चुकी है अब सरकारी मशीनरी का दौर है।
लगभग तीन साल के बाद प्रत्यक्ष रूप से हो रही कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस के पहले दिन विकास यात्रा, पेसा नियम 2022, मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, नगरीय क्षेत्रों में अनाधिकृत कॉलोनियों के विकास, जल जीवन मिशन, सीएम राइज स्कूल, शिशु एवं मातृ मृत्यु दर कम करने के लिए जारी प्रयासों, आयुष्मान भारत निरामय मध्यप्रदेश, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मुख्यमंत्री कन्या विवाहध्निकाह योजना, दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग तथा उपकरण वितरण और संबल-2 योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जिलों में काम कर रहे अधिकारियों के प्रयासों से ही विकास और जन-कल्याण के क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। इन्दौर कलेक्टर ने जनसुनवाई, सीहोर कलेक्टर ने शिक्षिकों के सहयोग से स्मार्ट क्लास आरंभ करने और डिण्डौरी कलेक्टर ने जनसमस्याओं के प्रति संवेदनशीलता और उनके त्वरित निराकरण में सराहनीय कार्य किया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी कलेक्टर अपने स्तर पर नवाचार कर रहे हैं। अधिकारी अपने कैरियर में सामान्यत: छह से आठ साल की अवधि तक जिला कलेक्टर के रूप में कार्य करते हैं। अंतिम रूप से स्थाई समाधान करने के निर्देश दिए।(आईएएनएस)
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