भोपाल। मध्यप्रदेश की कमल नाथ सरकार विधायकों के अंकगणित में उलझी हुई है। सरकार का भविष्य उन 22 विधायकों के हाथ में है जो इस्तीफा दे चुके हैं, क्योंकि इन विधायकों का साथ और विरोध कांग्रेस की सरकार को बचा और गिरा सकती है।
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राज्य की कमल नाथ सरकार पर बीते एक सप्ताह से संकट से घिरी नजर आ रही है, बाहरी विधायकों के समर्थन में चल रही कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावती तेवर के चलते संकट और गहराया हुआ है। इन सभी ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। 19 विधायक बेंगलुरू में है, इनमें से 13 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष एन.पी. प्रजापति ने नोटिस जारी कर उपस्थित होने को कहा था, मगर ये विधायक नहीं पहुंचे।
विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरू होने वाला है, वहीं राज्यसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए 26 मार्च को मतदान होना है। नामांकन भरे जा चुके हैं। 22 विधायकों की सरकार बचाने और गिराने के अलावा राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका रहने वाली है।
विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदास इसरानी ने आईएएनएस से कहा, विधानसभा अध्यक्ष त्यागपत्र देने वालों को उपस्थित होने का मौका दे रहे हैं। जहां तक राज्यसभा चुनाव का सवाल है, कांग्रेस व्हिप जारी करती है और विधायक अनुपस्थित रहते हैं तो उनकी सदस्यता खत्म हो सकती है। राज्यसभा चुनाव तो होगा ही।
विधानसभा की वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों में से दो स्थान रिक्त हैं, यानी कुल 228 विधायक हैं। इनमें कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक हैं। कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, इस स्थिति में कांग्रेस के पास 92 विधायक ही बचे हैं, अगर कांग्रेस को सपा, बसपा व निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल भी रहता है तो विधायक संख्या 99 ही हो पाती है।
कुल 228 में से इस्तीफा दे चुके 22 विधायकों की गिनती अगर न की जाए, तब कुल विधायकों की संख्या 206 रह जाएगी और बहुमत के लिए 104 की जरूरत होगी, इस तरह भाजपा के पास बहुमत से तीन ज्यादा होंगे और कांग्रेस के पास बहुमत से पांच कम।
राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस के 19 बागी विधायक बेंगलुरू में हैं और तीन अन्य स्थानों पर। इन विधायकों का कांग्रेस में लौटना आसान नहीं है। इस स्थिति में राज्यसभा में भी कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार की जीत संभव नहीं है, क्योंकि भाजपा के पास विधायकों की संख्या तब कांग्रेस से ज्यादा रहेगी।
राज्य की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, विधायकों की संख्या बल के आधार पर कांग्रेस को दो और भाजपा को एक सीट मिलनी तय थी, मगर हालात बदलने से भाजपा के खाते में दो सीटें जाने के आसार बनने लगे हैं।
कांग्रेस सरकार पर गहराए संकट का बड़ा कारण है ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत। सिंधिया 18 साल बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए नामांकन दाखिल किया। सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। वे लगातार अपने वीडियो जारी कर सिंधिया में आस्था जता रहे हैं।
दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से विधायकों को अपने पक्ष में लाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र सौंपकर भाजपा पर कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। साथ ही बंधक बनाए गए विधायकों को वापस लाने की अपील की। छह मंत्रियों को उनके पद से बर्खास्त किया जा चुका है।
--IANS
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