भोपाल। नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाते हुए गुजरात द्वारा फाटक लगाए जाने से मध्यप्रदेश के 192 गांव और धरमपुरी नगर के डूब में आना तय है, लगभग चालीस हजार परिवार प्रभावित होंगे, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों पर अमल किए बिना प्रशासन और पुलिस बल परिवारों को जबरन विस्थापित कर रहा है, जिससे तनाव के हालात हैं। क्षेत्र में तनाव है, पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन और अन्य सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने नर्मदा घाटी में मंदसौर से बड़ी घटना होने की आशंका जताई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजधानी में गुरुवार को जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संवाददाता सम्मेलन में राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर किसानों पर दमनचक्र चलाने का आरोप लगाया। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरदार सरोवर की ऊंचाई बढ़ाने से पहले 31 जुलाई तक डूब क्षेत्र में आने वालों को मुआवजा और पुनर्वास करने के निर्देश दिए हैं। वहीं गुजरात सरकार ने बांध की ऊंचाई बढ़ाने के लिए दो फाटकों की जगह छोड़ते हुए बाकी हिस्से में फाटक लगा दिए हैं।
मेधा ने आगे कहा कि राज्य सरकार और प्रशासनिक अमला लगातार गलत आंकड़ा पेश कर रहा है। जो स्थान विस्थापित परिवारों को बसाने के लिए चुना गया है, वहां सुविधाएं ही नहीं हैं, तो अपने पक्के मकान छोडक़र लोग खुले आसमान के नीचे क्यों जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि गुजरात को लाभ पहुंचाने मध्य प्रदेश की सरकार नर्मदा घाटी की संस्कृति ही खत्म करने में जुट गई है। इस एक कदम से सैकड़ों मंदिर, धार्मिक स्थल के अलावा ऐतिहासिक स्थलों के साथ खेत-खलिहान और हजारों लोगों की रोजी-रोटी भी डूब जाएगी।
पूर्व विधायक और किसान नेता डॉ. सुनीलम् ने बताया कि 192 गांव और एक नगर के जो 40 हजार परिवार विस्थापित होने वाले हैं, उन्हें सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, लिहाजा कोई भी परिवार तय स्थान पर जाने को तैयार नहीं है। लोगों में आक्रोश है, धार और बड़वानी जिलों में भारी सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है और लोगों को मकान खाली करने को कहा जा रहा है।
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