भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की डेढ़ दशक बाद सत्ता में वापसी हुई है। कांग्रेस की जीत के लिए बीते एक साल से जमीनी स्तर पर काम हो रहा था। जिन लोगों ने जमीन पर काम किया और पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई, वे अब भी पर्दे के पीछे हैं। राज्य के नेता भले ही उनका लोहा न मान रहे हों, मगर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीत के शिल्पकारों का लोहा माना है और सफलता का श्रेय उन्हें यानी पर्दे के पीछे के किरदारों को दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
क्षेत्र कोई भी हो, जब सफलता मिलती है तो उसके कई नायक बन जाते हैं और हार का कोई नायक नहीं होता। मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। कांग्रेस को सत्ता मिली तो तरह-तरह से जीत के आधार गढ़े जा रहे हैं, श्रेय लेने और देने की होड़ मची है। इस जश्न से अगर कोई दूर है तो वे लोग, जिन्होंने बीते एक साल में राज्य के गांव से लेकर भोपाल तक के बिखरे मोतियों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की।
राज्य में कांग्रेस डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी है, श्रेय लेने की हर तरफ होड़ मची है। कोई किसी को जीत का नायक बता रहा है तो कोई किसी के पीछे खड़ा है। मजे की बाज यह है कि बहुमत न मिल पाने और दिग्गजों की हार पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। कांग्रेस को भाजपा से पांच ही सीटें ज्यादा मिली हैं। वहीं वोटों का प्रतिशत भाजपा का कांग्रेस से ज्यादा है।
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