भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहचान सिर्फ राज्य
ही नहीं, बल्कि देश में ‘किसान हितैशी’ के तौर पर रही है। पार्टी से लेकर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इसे स्वीकारने में नहीं हिचकते, मगर मंगलवार
को मंदसौर में जो कुछ हुआ, उसने उनकी छवि पर दाग लगाने का काम किया है।
निहत्थे अन्नदाताओं पर पुलिस ने गोलियां बरसाई, जिसमें पांच किसानों की जान
चली गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भाजपा शिवराज को एक आदर्श मुख्यमंत्री और खेती-किसानी के
साथ किसानों की आय बढ़ाने वाला मुख्यमंत्री प्रचारित करती रही है। शिवराज
स्वयं दावा करते रहे हैं कि राज्य का किसान खुशहाल है, क्योंकि राज्य में
किसानों के लिए खेती फायदे का धंधा बन गया है। राज्य के किसानों की मेहनत
से ही चार बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।
मध्य प्रदेश को कृषि
के मामले में आदर्श राज्य मानते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी
में पिछले दिनों दिल्ली में अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों के सामने शिवराज
ने खेती को फायदे का धंधा बनाने की कार्ययोजना पेश की थी। साथ ही यह बताया
था कि राज्य की 20 प्रतिशत कृषि विकास दर कैसे हुई है।
वरिष्ठ
पत्रकार भारत शर्मा का कहना है, ‘‘राज्य का किसान खुश होता तो वह आंदोलन
करने सडक़ों पर क्यों उतरता, हिंसक क्यों होता। इस बात को समझना पड़ेगा कि
राज्य का किसान सरकार से खुश नहीं है, इस आंदोलन ने इसे प्रमाणित कर दिया
है।’’
इस आंदोलन से शिवराज की छवि पर आंच आने के सवाल पर शर्मा ने
कहा, ‘‘इस आंदोलन और मंदसौर की घटना से उनकी छवि प्रभावित होगी। याद करिए
पश्चिम बंगाल में वामपंथियों को सत्ता से उतरने का कारण नंदीग्राम और
सिंगूर बना था। जहां किसानों पर गोली चलाई गई थी, उस खामियाजे को आज तक
वामपंथी भुगत रहे हैं, भरपाई नहीं कर पाए। लिहाजा शिवराज इस घटना की भरपाई
कैसे कर पाएंगे।’’
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