आंचल के पिता सुरेश गंगवाल ने अपनी बेटी के
सपनों को पूरा करने में कोई कसार नहीं छोड़ी। आंचल के पिता नीमच बस स्टैंड
पर चाय की दुकान चलाते हैं। सुरेश गंगवाल ने कहा, सभी मेरे दुकान को नामदेव
टी स्टाल के नाम से जानते है। मुझे बहुत ख़ुशी होती है जब लोग आकर मुझे
बधाई देते है। सुरेश ने कभी भी अपनी आर्थिक स्थिति को आंचल के सपनों के
आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने कहा, मैंने आंचल की कोचिंग क्लास के लिए लोन
लिया था। आंचल मंदसौर में लेबर इंस्पेक्टर के तौर पर कार्यकर्त है। अब आंचल
लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ सेना में जाएंगी। आंचल के पिता सुरेश
गंगवाल चाय की दुकान चलाते हैं। ये भी पढ़ें - शर्त या पागलपंथी!निगली एक फुट लंबी संडासी
गौरतलब है कि सिर्फ 22 पदों के लिए होने
वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट में देशभर से करीब 6 लाख युवा शामिल हुए। चुने गए
22 परीक्षार्थियों में 5 लड़कियां हैं।
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