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वहीं, भाजपा के मीडिया प्रमुख लोकेंद्र पाराशर का कहना है, ‘‘कर्नाटक
में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी, संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक उसे सरकार
बनाने का मौका दिया गया, बहुमत नहीं था तो मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने अपने
पद से इस्तीफा दे दिया। वास्तव में कांग्रेस हताशा के दौर से गुजर रही है,
और उसका लक्ष्य सिर्फ भाजपा को रोकना है। कर्नाटक के घटनाक्रम का
मध्यप्रदेश की राजनीति पर किसी तरह का असर नहीं होने वाला, भाजपा फिर सत्ता
में आएगी।’’
राजनीति के जानकारों की मानें तो कर्नाटक में भाजपा
अगर बहुमत साबित करने में सफल हो जाती, तो यह मान लिया जाता कि मोदी-शाह की
जोड़ी कुछ भी कर सकती है। इसका असर मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ व राजस्थान
के चुनावों पर पड़ सकता था, मगर अब ऐसा नहीं रहा। कांग्रेस ने कर्नाटक के
मामले को शीर्ष अदालत में ले जाकर जो सक्रियता दिखाई, उससे लगता है कि अगर
पार्टी इसी तरह आक्रामक रही, तो आगामी तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव भाजपा
के लिए आसान नहीं रहने वाले।
--आईएएनएस
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