भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के मंत्रियों को भाजपा शासनकाल के मंत्रियों के विशेष सहायकों को अपने यहां तैनात करना महंगा पड़ रहा है। मंत्रियों के साथ सरकार की जमकर फजीहत भी हो रही है। अब मंत्रियों को अपनी गलती का अहसास होने लगा है और वे विशेष सहायकों को हटाने को तैयार हो गए हैं। दो मंत्रियों के विशेष सहायकों को हटाया जा चुका है। राज्य में हनीटेप ने सियासी हलचल ला दी थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस मामले में तमाम प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आए, मगर मानव तस्करी को लेकर न्यायालय में जो चालान पेश किया गया, उसमें दो मंत्रियों प्रदीप जायसवाल और प्रद्युम्न सिंह के विशेश सहायकों के नाम भी सामने आए। इसके बाद रविवार रात आदेश जारी कर खनिज मंत्री जायसवाल के विशेष सहायक अरुण निगम और खाद्य मंत्री तोमर के विशेष सहायक हरीश खरे की सेवाएं उनके मूल विभाग को वापस कर दी गई हैं।
यहां बताना लाजिमी होगा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रियों को इस बात के निर्देश दिए थे कि वे अपने निजी स्टॉफ का चयन करने में सतर्कता बरतें। साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के स्टॉफ को तैनात न करें। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी मंत्रियों को पत्र लिखकर भाजपा सरकार के मंत्रियों के स्टाफ को तैनात न करने की हिदायत दी थी, मगर मंत्रियों ने इस हिदायत को नजर अंदाज करते हुए पूर्ववर्ती सरकार के स्टाफ को अपने यहां तैनात किया।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार के 20 से ज्यादा मंत्रियों के यहां दो दर्जन से ज्यादा ऐसे कर्मचारी निजी स्टाफ में तैनात हैं, जो पूर्ववर्ती सरकार के मंत्रियों के यहां तैनात रह चुके हैं। स्टाफ की तैनाती मंत्रियों ने सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने और उनके रिश्तों के जरिए लाभ हासिल करने के मकसद से की थी। क्योंकि ये कर्मचारी अरसे से मंत्रियों के निजी स्टाफ का हिस्सा बने हुए थे।
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