भोपाल। मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी हर हाल में कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष कमलनाथ को घेरना चाहती है, भाजपा की कोशिश है कि ‘वे जहां भी चूकें उन पर हमले किए जाएं।’ कमलनाथ ने ‘लायक और नालायक’ वाला बयान क्या दिया, पूरी भाजपा ही उन पर हमला करने को मैदान में आ गई। एक तरफ कमलनाथ अकेले नजर आ रहे हैं तो दूसरी ओर पूरी भाजपा खड़ी है। कमलनाथ ने मुस्कुराते हुए कहा था कि ‘शिवराज मुझे दोस्त कहते हैं, लेकिनकुछ दोस्त लायक होते हैं और कुछ नालायक।’
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कांग्रेस की सियासत में कमलनाथ एक दक्ष राजनेता माने जाते हैं, यही कारण है कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें मध्यप्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया है। कमलनाथ जिस दिन से अध्यक्ष बनकर भोपाल आए हैं, उसी दिन से उनकी सक्रियता बनी हुई है। वे लगातार बैठकें ले रहे हैं, और चुनाव की रणनीति बनाने में लगे हैं।
कमलनाथ के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस की प्रदेश इकाई भवन में उन लोगों की आमद ज्यादा हो गई है, जो अब तक पार्टी के दफ्तर तक में आने से कतराते रहे हैं। कई नेता तो ऐसे हैं, जिन्होंने अरुण यादव के कार्यकाल में पार्टी दफ्तर में न आने की सौगंध खा रखी थी, ऐसे भी नेता हैं जो कई बार पार्टी दफ्तर के बाहर धरना दे चुके थे। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसे नेता कांग्रेस के हिमायती हैं या उनकी किसी नेता या गुट में निष्ठा है और उन्हें कमलनाथ अपरोक्ष रूप से प्रोत्साहित कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषक गिरिजा शंकर का कहना है कि कमलनाथ के बीते 40 साल के राजनीतिक सफर में जनता और मीडिया से सीधा संवाद करने का कम अवसर आया है, उन्होंने केंद्र की राजनीति की है, पहली बार सीधी राज्य की राजनीति कर रहे हैं और अति आत्मविश्वास में नजर आने के फेर में वे हास-परिहास में ‘लायक और नालायक’ बोल गए। यह ठीक वैसा ही है, जैसा गैर व्यंग्यकार व्यंग्य करे।
वे आगे कहते हैं, ‘‘कमलनाथ को राज्य के मुद्दों पर बात करना चाहिए, मगर वे उससे दूर हैं, वे स्वयं ऐसी चूक कर रहे हैं, जिसे भाजपा को बैठे बिठाए लपकने का मौका मिल रहा है। यह बात हो सकती है कि, लायक और नालायक कहने के पीछे उनकी वह मंशा नहीं रही होगी, मगर जुबान से तो निकल ही गया।’’
एक तरफ जहां कमलनाथ ने यह गंभीर बयान दिया, वहीं मुख्यमंत्री चौहान ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया। पहले शायराना अंदाज में ट्वीट किया, फिर मंगलवार को बयान दिया और कहा कि उनके लिए तो दोस्त दोस्त है, उनकी न तो ऐसी भाषा है और न ही उनके ऐसे संस्कार हैं। लिहाजा, वे ऐसा कुछ नहीं कहेंगे, जो मर्यादा के खिलाफ हो।
कांग्रेस तो एक बार व्यापम घोटाले से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 58 लोगों की मौत के कारण शिवराज को ‘शवराज’ भी कह चुकी है।
भाजपा ने जहां कमलनाथ पर हमलावर रुख अपनाया है तो वहीं एक सेाशल मीडिया पर कूटरचित ऐसा वीडियो वायरल हुआ है, जिसने कांग्रेस का बचाव की मुद्रा में आने को मजबूर कर दिया है। इस वीडियो में षिवराज को अंगद बताया गया है और कांग्रेस के सारे नेता शिवराज का पैर उठा ही नहीं पा रहे हैं। इस कतार में कमलनाथ, सिंधिया, जीतू पटवारी, सहित अनेक नेता लगे हैं। एक तरह से कांग्रेस के नेताओं को रावण के दरबार का प्रतिनिधि बताया गया है।
इस मामले पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई है, साइबर सेल में शिकायत की है, मगर कांग्रेस के नेताओं के वैसे तेवर नहीं है, जिनकी जरूरत है। कमलनाथ के साथ युवाओं की फौज भी कम ही नजर आ रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि युवाओं को सक्रिय करने के लिए चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्येातिरादित्य सिंधिया की सक्रियता जरूरी है। उसके बगैर कांग्रेेस के युवा नेताओं से लेकर आम युवाओं में जोश भरना आसान नहीं है।
राज्य की सियासत में यह पहला मौका आया है, जब कमलनाथ का सीधे तौर पर भाजपा से आमना-सामना है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया कह चुके हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने युवा शाक्ति के साथ समन्वय करते हुए कमलनाथ को कमान सौंपी है। बाबरिया ने जो कहा है, वह समन्वय अभी तक तो पार्टी में नजर नहीं आया है।
राज्य में चुनाव के लिए मुश्किल से 150 दिन से कम का समय बचा है और 230 विधानसभा क्षेत्र हैं, इन स्थितियों में कांग्रेस कैसे समन्वय बनाती है और किस तरह सभी क्षेत्रों तक अपने दिग्गजों को भेज पाती है, यह बड़ा सवाल है। पहले प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश को बदलकर बाबरिया को कमान सौंपना और फिर अरुण यादव के स्थान पर कमलनाथ की तैनाती, पार्टी को क्या दिला पाएगी, यह अबूझ पहेली से कम नहीं है।
--आईएएनएस
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