भोपाल । मध्यप्रदेश में इसी साल
होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा संगठन तक जो जमीनी फीडबैक आ रहा
है, वह राज्य के कई दिग्गज नेताओं के लिए अच्छा नहीं है। यही कारण है कि
तमाम दावेदारों की नींद उड़ी हुई है।
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साथ ही गुजरात और कर्नाटक के फार्मूले ने दावेदारों की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं।
भाजपा
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से अलर्ट मोड में है। वह
अगले चुनाव में ऐसी कोई चूक करने के लिए तैयार नहीं है जिसके चलते उसके
सत्ता में बने रहने के रास्ते में कोई बाधा आए। लिहाजा पार्टी जमीनी स्तर
से फीडबैक जुटाने में लगी है। अब तक जो जमीनी रिपोर्ट पार्टी के पास आई है
वह उसे चिंता में डालने वाली तो है ही।
पार्टी संगठन के पास जो
जमीनी रिपोर्ट आ रही है वह बताती है कि वर्तमान हालात में पार्टी को चुनाव
में बहुमत हासिल करना आसान नहीं है। सरकार और विधायकों के खिलाफ जनता में
नाराजगी है। इसे खत्म तो नहीं किया जा सकता, हां कम जरुर किया जा सकता है।
इसके लिए कड़े फैसले लेने की जरुरत है।
जो भी रिपोर्ट पार्टी तक आई
है, उसी के चलते संगठन और सत्ता के तेवर बदले हुए हैं। राष्टीय स्वयं सेवक
संघ के अलावा उसके अनुषांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भी संवाद का दौर
जारी है। सरकार की बड़ी चिंता शिक्षा, खेती-किसानी और मजदूर वर्ग को लेकर
है। इसी वजह से बीते रोज संघ के अनुशंगिक संगठन के प्रतिनिधियों व
मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री आवास पर संगठन के पदाधिकारियों की बैठक हुई।
सूत्रों
का कहना है कि जमीनी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी संगठन यह तय कर चुका है कि
आगामी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा नए चेहरों को जगह दी जाए, क्योंकि बड़ी
संख्या में विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ जमीन पर नाराजगी है और वे लगातार
जनता के बीच भी सक्रिय नहीं रहे हैं।
इसके लिए पार्टी उम्र के
फार्मूले पर भी काम करने वाली है। उसी के चलते यह भी तय हो रहा है कि 65
वर्ष की आयु पार कर चुके नेताओं को अब चुनावी राजनीति से दूर रखा जाए।
भाजपा
ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 50 से ज्यादा विधायकों के टिकट काटे
थे जिनमें कई बड़े दिग्गज चेहरे भी शामिल थे। पार्टी इस बार गुजरात और
कर्नाटक के फार्मूले पर भी आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके
चलते संभावना इस बात की जताई जा रही है कि भाजपा के 127 विधायकों में से
आधे विधायकों तक के टिकट काटे जा सकते हैं।
पार्टी सूत्रों पर भरोसा
किया जाए तो राज्य की सियासत में सबसे बड़ा बदलाव कर्नाटक के चुनावी
नतीजों के बाद देखने को मिल सकता है। इन नतीजों के आधार पर ही पार्टी
मध्यप्रदेश में आगे की रणनीति पर काम करेगी। इसके बावजूद इतना तो तय है कि
भाजपा अगले चुनाव में नए और युवा चेहरों पर दांव लगाने की पूरी तैयारी लगभग
कर चुकी है।
पार्टी के भीतर चल रहे मंथन ने उन दिग्गज नेताओं की
नींद उड़ा कर रख दी है जो कई बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं और अगली
बार भी दावेदारी जताना चाह रहे हैं।
--आईएएनएस
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