• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

बुंदेलखंड : किसान आत्महत्याओं से बच्चों पर दहशत का साया

Fear among children with farmer suicides in Bundelkhand - Bhopal News in Hindi

भोपाल/झांसी। बुंदेलखंड में बड़ी संख्या में हो रही किसान आत्महत्याओं की दहशत इलाके के बच्चों (12-14) के दिल और दिमाग पर बहुत गहरा असर छोड़ रही है। यह दुष्प्रभाव उनकी पूरी जिंदगी में नजर आएगा, इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। भोपाल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रोमा भट्टाचार्य ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए माना कि जब किसी किशोर के परिवार का वरिष्ठ सदस्य या कोई करीबी आत्महत्या कर लेता है, तो उसके मन पर जो असर होता है, वह जीवन पर्यंत रहता है। उसमें हमेशा असुरक्षा का भाव नजर आता है, तो उसे हर वक्त यही लगता है कि वह कहीं जीवन से संघर्ष में असफल न हो जाए।’’

वे अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहती हैं, ‘‘किशोरावस्था में अपनों खासकर माता-पिता के आत्महत्या के चलते हताशा में आए लोग युवावस्था में न तो बेहतर संबंध बना पाते हैं और न ही उनमें आत्मविश्वास आ पाता है। उनकी हालत तो यह होती है कि घर का कोई व्यक्ति कुछ देर के लिए बाहर जाए और समय से न लौटे तो उन्हें घबराहट होने लगती है और अनहोनी की आशंका तक सताने लगती है।’’

बुंदेलखंड वह इलाका है, जहां किसान कर्ज, सूखा और फसल चौपट होने के चलते लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। यह सिलसिला कई वर्षों से जारी है। जो किसान आत्महत्या करता है, उसके परिवार का हर वर्ग लंबे अरसे अवसाद में रहता है। किशोरों (12 से 14) के पूरे जीन पर इसका असर रहता है। इसी असर को पंजाबी फिल्म निदेशक सागर एस. शर्मा ‘तिल्ली’ नाम से बन रही फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर दिखाने जा रहे हैं।

किसान समस्या और जल संरक्षक के लिए बुंदेलखंड में अरसे से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह का कहना है, ‘‘यह बात पूरी तरह सही है कि जो किसान आत्महत्या करता है या जिस गांव में ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं, वहां का किशोर अन्य सामान्य किशोरों से अलग होता है। वह डरा-सहमा, परेशान और हताश नजर आता है। इसे उन किशोरों के चेहरे पर आसानी से पढ़ा जा सकता है।’’

बुंदेलखंड की महिला सामाजिक कार्यकर्ता ममता जैन ने आईएएनएस से कहा, ‘‘बुंदेलखंड में एक तरफ सूखा पड़ रहा है, तो दूसरी ओर रोजगार के बेहतर अवसर नहीं है, यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं। इस बार भी ऐसा ही कुछ है। किशोर मन पर जीवन की किसी भी घटना का असर सबसे ज्यादा होता है, इसलिए आत्महत्या की घटनाओं का उन पर असर होना लाजिमी है।

बुंदेलखंड मध्य प्रदेश के छह जिलों- छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, सागर व दतिया और उत्तर प्रदेश के सात जिलों- झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, महोबा, कर्वी (चित्रकूट) को मिलाकर बनता है। यहां सूखा एक बड़ी समस्या बन गया है। किसानों पर एक तरफ कर्ज है तो दूसरी तरफ खेती का उत्पादन लगातार कम हो रहा है।

मध्य प्रदेश में वर्ष 2017 में 760 किसान और खेतीहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। इनमें से 81 बुंदेलखंड से आते हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सात जिलों का हाल और भी बुरा है।

तमाम मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यहां सालभर में 266 किसान व खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की। इनमें 184 ने फांसी लगाकर, 26 ने रेल से कटकर या कीटनाशक पीकर जान दी। वहीं शेष 56 में कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने खुद को आग लगाकर जान दे दी।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Fear among children with farmer suicides in Bundelkhand
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: bundelkhand, children, farmer suicides in bundelkhand, farmer suicides, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, bhopal news, bhopal news in hindi, real time bhopal city news, real time news, bhopal news khas khabar, bhopal news in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved