भोपाल। मध्य प्रदेश के दमोह विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उप-चुनाव के कारण सियासी पारा धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत झोंक रही है, दोनों दलों ने जमीनी जोर लगाने के साथ एक-दूसरे में सेंधमारी के प्रयास भी तेज कर कर दिए हैं। इस मामले में भाजपा को सफलता भी मिलने लगी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार पूरी तरह सुरक्षित है, उसकी सेहत पर दमोह विधानसभा के उप-चुनाव के नतीजों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। मगर सियासी तौर पर यह उप-चुनाव अहम है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले राहुल लोधी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। पार्टी के इस फैसले से पुराने भाजपाई के तौर पर पहचाने जाने वाले पूर्व मंत्री जयंत मलैया और उनका परिवार खुश नहीं है, क्योंकि राहुल लोधी ने पिछले विधानसभा चुनाव में मलैया को शिकस्त दी थी।
विधानसभा के चुनाव में दमोह में मिली सफलता के बाद राहुल लोधी के पाला बदलने के कारण हो रहे उप-चुनाव में कांग्रेस आस लगाए है कि उसे जनता का जो समर्थन विधानसभा चुनाव में मिला था, वही उप-चुनाव में भी मिलेगा। यही कारण है कि पार्टी ने अजय टंडन को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा जयंत मलैया को उम्मीदवार न बनाए जाने से भाजपा के भीतर होने वाले असंतोष का भी लाभ मिलने की कांग्रेस उम्मीद लगाए बैठी है।
उप-चुनाव के लिए मतदान 17 अप्रैल को होना है, इसकी तैयारियां दोनों राजनीतिक दलों ने तेज कर दी है। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के दौरे जारी हैं। चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले दोनों नेताओं ने दमोह का संयुक्त दौरा किया था और सौगातें भी दी थी। उसके बाद नामांकन भरे जाने के मौके पर भी दोनों प्रमुख नेता के साथ क्षेत्रीय सांसद और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल उपस्थित रहे।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी ताकत झोंक रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ का भी दमोह का दौरा हो चुका है, उन्होंने सीधे तौर पर प्रदेश की सरकार पर जमकर हमले बोले। साथ ही पार्टी कार्यकर्ता से पूरे दमखम से चुनाव लड़ने का आह्वान भी किया, मगर यहां उन्हें एक बड़ा झटका भी लगा क्योंकि पूर्व मंत्री मुकेश नायक के भाई सतीश नायक ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
दमोह विधानसभा सीट के इतिहास को देखें तो एक बात साफ हो जाती है कि यहां मुकाबला बराबरी का रहा है। अब तक हुए 15 चुनाव में छह बार भाजपा के जयंत मलैया जीते हैं तो वहीं दूसरी ओर सात बार कांग्रेस का उम्मीदवार और दो बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, यहां का उप-चुनाव एकतरफा नहीं रहने वाला है, क्योंकि दोनों दल जहां जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है, वहीं दूसरी ओर उम्मीदवारों को लेकर भी आम मतदाता में कोई उत्साह नहीं है। राहुल लोधी ने दल-बदल किया है, इससे जनता में नाराजगी है, तो वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार अजय टंडन पूर्व में भी विधानसभा का चुनाव लड़े मगर हार गए थे, वे यहां के सक्रिय नेता में नहीं गिने जाते। कुल मिलाकर जनता असमंजस में है, यही कारण है कि यहां के नतीजे को लेकर पूवार्नुमान मुश्किल है।
यह उप-चुनाव सियासी तौर पर इसलिए भी अहम है क्योंकि इसके बाद राज्य में पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव भी संभावित हैं। यहां का नतीजा इन चुनाव में मुददा भी बन सकता है। यही कारण है कि दोनों दल इस उप-चुनाव को लेकर गंभीर है।
--आईएएनएस
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