भोपाल। मध्य प्रदेश में साल दर साल पानी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। जल संरचनाओं का आंकड़ा कम हो रहा है, वहीं सरकार के खर्च का आंकड़ा बढ़ रहा है। सवाल उठ रहा है कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी न तो नई जल संरचनाएं आकार ले पा रही हैं और न ही नदियां प्रवाहमान हो पा रही हैं, तो फिर इस रकम से कौन लोग जीवन पा रहे हैं? प्रमुख नदियों को जीवन देने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हुए मगर हालत साल दर साल बद से बदतर होती गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मध्य प्रदेश की पवित्र नगरी उज्जैन में प्रवाहित होने वाली क्षिप्रा नदी को मोक्षदायनी नदी माना जाता है। इस नदी की दुर्दशा की अपनी कहानी है। साल में कुछ माह या यूं कहें कि बारिश के बाद के कुछ समय में इस नदी में पानी स्नान के लायक होता है। इस नदी के पानी से आचमन तो शायद कुछ दिन भी नहीं किया जा सकता। इन दिनों तो इस नदी का पानी कीचड़ का रूप लिए हुए है।
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