तिरुवनंतपुरम। साल के अंतिम दिन यह दुर्लभ क्षण था, जब पारंपरिक रूप से राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को वापस लेने की मांग वाला एक प्रस्ताव पारित करने के लिए हाथ मिला लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकमात्र विधायक ओ.राजगोपाल ने प्रस्ताव का विरोध किया। सीएए पर चर्चा के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा का सिर्फ एक विधायक है। चर्चा की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि पूरा देश स्तब्ध है और सीएए के खिलाफ हर जगह प्रदर्शन हो रहा है।
विजयन ने कहा कि सीएए की पेचीदगियों को लेकर दुनिया अचंभित है, जहां धर्म विभाजन का मानदंड है। इसे देखकर भारतीय प्रवासी सदमे की स्थिति में हैं। केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। भारत अपनी धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है। किसी भी परिस्थिति में यह सीएए आगे नहीं बढ़ सकता है और इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए।
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