तिरुवनंतपुर। केरल इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। केरल में 10 दिनों से प्रलय मचा रही है। मई महीने से अब तक 324 लोगों की मृत्यु हो
चुकी है। राज्य में हो रही बारिश से करीब 2 लाख 23 हजार लोग बेघर हो गए हैं
और करीब 1,568 राहत कैंपों में लोग रह रहे हैं। इस बीच पंजाब सरकार ने
केरल के लिए 10 करोड़ रुपए की राहत राशि जाने करने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार अरविन्द केजरीवाल ने भी दस करोड रूपए दिए हैं।
प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार से शाम छह बजे फ्री हुए
हैं। इसके बाद रात तक केरल पहुंचने वाले हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने शुक्रवार को बताया कि मई महीने से अब तक 324 लोगों की मृत्यु हो
चुकी है। राज्य में हो रही बारिश से करीब 2 लाख 23 हजार लोग बेघर हो गए हैं
और करीब 1,568 राहत कैंपों में लोग रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अच्छी खबर सिर्फ यह है कि राज्य के कुछ इलाकों में बारिश कम हो गई है और हमारी योजना दिन के अंत तक इन इलाकों में फंसे लोगों को निकालने की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह बाढ़ की स्थिति पर विजयन से फोन पर बात की और कहा कि वह शुक्रवार को ही स्थिति का जायजा लेने वहां जाएंगे। आठ अगस्त के बाद से राज्य में 164 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2.23 लाख लोगों को 1,568 राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है।
समीक्षा बैठक के बाद विजयन ने कहा कि सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में पथनामथित्ता, अलप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिसूर शामिल हैं, जहां 52,856 परिवार प्रभावित हैं। चेंगानूर और चलाकुडी जिलों में फंसे लोगों को सिर्फ हवाई मार्ग से निकला जा सकता है, जिसके कारण रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने अतिरिक्त हेलीकॉप्टर के लिए मंजूरी दे दी है। विजयन ने कहा कि शुक्रवार को सेना के 16, तटरक्षक के 28, एनडीआरएफ के 39 और नौसेना के 42 दल बचाव अभियान में शामिल थे, जबकि आज ही एनडीआरएफ के 14 अन्य दल और पहुंचेंगे।
उन्होंने कहा कि इडुक्की और वायनाड के इलाकों तथा पथनामथित्ता के कुछ इलाकों में पानी कम हुआ है। विजयन ने कहा कि बचाव दल के सामने सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि कुछ लोग राहत शिविरों में जाना नहीं चाह रहे हैं। वित्तमंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि कई लोगों ने, विशेषकर कुट्टनाडु क्षेत्र में, राहत शिविरों में जाने से इंकार कर दिया। पेरियार और इसकी सहायक नदियों के पानी ने एर्नाकुलम और त्रिसूर के कई नगरों को जलमग्न कर दिया है।
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