तिरुवनंतपुरम। कांग्रेस की केरल इकाई ने 2015 में सदन में अराजकता फैलाने के छह आरोपियों पर दर्ज मामला वापस लेने पर पिनारई विजयन सरकार की निंदा की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एम.एम. हसन ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मार्च 2015 में क्रोधित होकर सदन में दो लाख रुपये की संपत्ति का नुकसान करने वाले छह विधायकों पर दर्ज मामला सरकार ने वापस कैसे ले लिया जिसके कारण राज्य की बहुत बदनामी हुई थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हसन ने कहा, ‘‘असली शर्मिंदगी यह है और यह दिखाता है कि विजयन सरकार अपने लोगों की गलत बातों का समर्थन कर उन्हें बचा रहे हैं। आरोपी छह विधायकों में से एक वी. शिवंकुट्टी द्वारा विजयन को पत्र लिखे जाने के बाद यह मामला वापस हुआ। शिवकुट्टी 2016 चुनाव में अपनी सीट गंवा चुके हैं।’’
साल 2015 में 13 मार्च को पूर्व प्रदेश वित्त मंत्री के.एम. मणि द्वारा सदन में आगामी वित्त वर्ष का बजट पेश करने के दौरान यह घटना हुई थी। मणि ने जब बजट भाषण शुरू किया तो वाम विधायकों ने क्रुद्ध होकर मंच से विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी फेंकने लगे और उनकी मेज पर लगे इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को नष्ट कर दिया।
घटना के बाद पीठासीन विधानसभा अध्यक्ष एन. सकटम ने पुलिस जांच का आदेश दे दिया था। जांच में पाया गया कि छह विधायक जिनमें वर्तमान राज्यमंत्री के.टी. जलील तथा पूर्व मंत्री और वर्तमान माकपा विधायक ई.पी. जयराजन शोरगुल मचाने के दोषी पाए गए। अन्य आरोपी विधायक वी. शिवकुट्टी, कुंजू अहमद, सी.के. सदाशिवन और के. अजीत थे।
वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन घटना के समय वहां टहलते हुए पाए गए थे हालांकि उनका घटना से कोई स्पष्ट संबंध नहीं था। मंगलवार को आक्रोशित विधायकों ने श्रीरामकृष्णन की निंदा की और उन्हें घटनास्थल वाले दिन का उनका व्यवहार याद दिलाते हुए कहा कि बड़ी अजीब बात है कि अब वह सभ्यता की बात कर रहे हैं। मामला वापसी के संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह निर्णय सरकार का है।
--आईएएनएस
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