तिरुवनंतपुरम। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार को तीन तलाक पर अध्यादेश लाने में बेवजह जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए। आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता और मलाप्पुरम से लोकसभा सदस्य पी.के. कुन्हालिकुट्टी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए छह महीने का समय दिया है।
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इसे देखते हुए केंद्र को इस पर अध्यादेश लाने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए। कुन्हालिकुट्टी ने कहा, संसद को इस मुद्दे पर बहस और चर्चा करनी चाहिए..इसके लिए छह महीने का समय है। पांच न्यायाधीशों की सदस्यता वाली संविधान पीठ ने मंगलवार को दो के मुकाबले तीन मतों से फैसला सुनाते हुए कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ, न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है और इसे शरीयत से भी मंजूरी नहीं है। वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।
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