तिरुवनंतपुरम । यहां की एक निचली अदालत ने बुधवार को राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी और चार अन्य नेताओं के खिलाफ 2015 में विधानसभा में की गई तोड़फोड़ के मामले में पेश चार्जशीट पढ़ी। मार्च 2015 में विधानसभा में हिंसक दृश्य देखे गए थे, जब तत्कालीन वामपंथी विपक्ष ने तत्कालीन वित्तमंत्री के.एम. मणि पर बार रिश्वत मामले में शामिल रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें बजट पेश करने से रोक दिया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
छह आरोपियों में से शिवनकुट्टी और के.टी. जलील इस समय विधानसभा के सदस्य हैं। शिवनकुट्टी राज्य के शिक्षा मंत्री हैं, जबकि जलील पूर्व मंत्री हैं। अन्य हैं लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के संयोजक ई.पी. जयराजन, सी.के. सदाशिवन, कुन्हमद मास्टर और के. अजित (चारों 2011-16 के दौरान विधायक थे)।
बुधवार को जब आरोपपत्र पढ़ा गया, जयराजन को छोड़कर अन्य सभी उपस्थित थे, जिनकी तोड़फोड़ में भूमिका का जिक्र था। तोड़फोड़ से विधानसभा की संपत्तियों को 2.50 लाख रुपये का नुकसान हुआ था।
पांचों आरोपियों ने आरोप को नकार दिया, जबकि जयराजन के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल अस्वस्थ हैं और कन्नूर स्थित अपने घर में आराम कर रहे हैं।
अदालत ने जयराजन को 26 सितंबर को उपस्थित रहने को कहा।
केरल सरकार ने पहले इन छह नेताओं के खिलाफ आपराधिक मामले वापस लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि सदन के सत्र के दौरान बर्बरता में लिप्त विधायकों की रक्षा करने के लिए कोई छूट या विशेषाधिकार नहीं है।
शीर्ष अदालत ने इन सभी को मुकदमे का सामना करने को कहा था।
आरोपपत्र पढ़े जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा ने मंत्री शिवनकुट्टी के इस्तीफे की मांग करते हुए हंगामा किया, जिसे माकपा ने सिरे से खारिज कर दिया।
इन सभी पर सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम अधिनियम और अन्य प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं।
--आईएएनएस
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