इससे पहले प्रधानमंत्री ने आईआईएम कैंपस में स्वामी विवेकानंद की आदमकद
प्रतिमा का अनावरण भी किया। उन्होंने कहा कि भारतीय विचारों के वैश्वीकरण
में विवेकानंद के योगदान को नहीं भूला जा सकता। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि
कि हम ऐसे समय भारतीय विचार के वैश्वीकरण पर चर्चा कर रहे हैं जब इसी कैंपस
में उनकी प्रतिमा को खास जगह मिली हुई है। उनके योगदान को भला कौन भूला
सकता है। वर्षों पहले 11 सितंबर 1893 को उन्होंने शिकागो में ऐतिहासिक भाषण
के दौरान भारत की सदाशयता की झलक दी थी।
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