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ओलंपिक (पुरुष हॉकी) : जीत के बाद बोली श्रीजेश की मां- हमारे लिए सोने से कम नहीं है कांस्य

Bronze is no less than gold for us: Sreejesh mother - Kochi News in Hindi

कोच्चि। यहां से हजारों मील दूर टोक्यो में जर्मनी के साथ हुए अहम मुकाबले में भारत ने बढ़त बनाए रखी थी, लेकिन वहां से हजारों मील दूर भारतीय गोलकीपर श्रीजेश के घर पर यह चिंताजनक क्षण था। और जब अंतिम सीटी बज गई, तो उनके घर में जश्न का माहौल था और उनकी मां अपनी भावनाओं को छिपा नहीं सकीं क्योंकि उन्होंने कहा, हमारे लिए सोने से कम नहीं है कांस्य। ऐसा लग रहा है की हमने स्वर्ण ही जीता है।

श्रीजेश की मां ने कहा, यह उनका तीसरा ओलंपिक है और पिछले दो मौकों पर उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, वह पदक के साथ लौट रहे हैं। हालांकि यह कांस्य है, हमारे लिए कांस्य पदक स्वर्ण जितना ही अच्छा है।,

गुरुवार की सुबह से ही श्रीजेश के घर में भीड़-भाड़ थी और सब टीवी से चिपके हुए थे।

ऐतिहासिक जीत के बाद पूरे परिवार ने पटाखे जलाकर और मिठाइयां बांटकर जीत का जश्न मनाया।

श्रीजेश की पत्नी, अनीशा जो एक आयुर्वेद चिकित्सक हैं, भी अपनी भावनाओं को छिपा नहीं सकी। उन्होंने कहा कि श्रीजेश की इच्छा ओलंपिक पदक जीतने की थी।

अनीशा ने कहा, वह पदक जीतना चाहते थे और उनकी इच्छा के अनुसार, भारत ने एक पदक जीता है। हम अपनी खुशी व्यक्त नहीं कर सकते हैं। उन्होंने मुझे अभी कॉल किया और जब फोन आया तो हमारी खुशी और भी बढ़ गई। उन्होंने कहा कि वह 10 अगस्त को यहां आ सकते हैं, लेकिन निश्चित नहीं है।

श्रीजेश के पिता ने कहा कि वह हर उस भारतीय का शुक्रिया अदा कर सकते हैं जिन्होंने टीम इंडिया की सफलता के लिए प्रार्थना की।

उनके पिता ने कहा, सभी को उनकी प्रार्थना के लिए धन्यवाद और यह सभी की प्रार्थनाओं के कारण हुआ।

उल्लेखनीय है कि भारत की पुरुष हॉकी टीम ने एक समय 1-3 से पीछे होने के बावजूद शानदार खेल दिखाते हुए 41 साल के अंतराल के बाद ओलंपिक पदक जीतने का गौरव हासिल किया है। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के लिए हुए रोमांचक मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराया।

भारतीय टीम सेमीफाइनल में बेल्जियम के हाथों हार गई थी। इसके बाद उसे कांस्य जीतने का मौका मिला था। जर्मनी के खिलाफ एक समय भारतीय टीम 1-3 से पीछे चल रही थी लेकिन सात मिनट में चार गोल करते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने मैच की दिशा अपनी ओर मोड़ दी।

भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें, 34वें मिनट) ने दो गोल किए, जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रूपिंदरपाल सिंह (31वें मिनट) ने एक-एक गोल दागे जबकि जर्मनी के लिए तिमूर क्रूज (दूसरा मिनट), निकलास वालेन (24वें), बेनेडिक्ट फर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने एक-एक गोल किया।

भारत ने अंतिम बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। कांस्य पदक की बात की जाए तो भारत ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में नीदरलैंड्स को हराकर यह पदक जीता था।

--आईएएनएस

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Web Title-Bronze is no less than gold for us: Sreejesh mother
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