बेंगलुरू। कर्नाटक सरकार के राजस्व विभाग ने उच्च न्यायालय के प्रकोप से बचने के लिए अधिकारियों को राज्य के 1,428 गांवों में कब्रिस्तान के लिए जमीन तलाशने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने चेतावनी दी है कि जमीन उपलब्ध कराने में विफल रहने पर विभाग के प्रधान सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस संबंध में बेंगलुरु निवासी मोहम्मद इकबाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मुद्दे पर कड़ी चेतावनी जारी की है।
राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 29,076 गांव हैं। इनमें से 27,648 गांवों और 299 कस्बों में कब्रिस्तान की जमीन आवंटित की गई है।
शिवमोग्गा जिले के 1,428 गांवों और एक कस्बे में जमीन दी जानी है।
विभाग का दावा है कि सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है और निजी मालिक अपनी जमीन बेचने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। प्रत्येक गांव में, स्थानीय लोगों द्वारा प्रचलित रीति-रिवाज, परंपराएं हैं और दफन के लिए भूमि खोजना बहुत कठिन हो गया है।
हालांकि सरकार ने इन सभी कारणों को बताकर और दो साल का समय मांगकर अदालत को समझाने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने इनमें से किसी भी कारण पर ध्यान नहीं दिया।
कोर्ट ने गौर किया है कि सिंगल जज बेंच ने तीन साल पहले आदेश दिया था। पीठ ने 20 अगस्त 2019 को यह भी चेतावनी दी थी कि यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के बाद प्रधान सचिव को जेल भेजा जाएगा।
खंडपीठ ने नौ जून को कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया था, जिसका विभाग ने उल्लंघन किया।
--आईएएनएस
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