मैसूर (कर्नाटक) । मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साले मल्लिकार्जुन स्वामी और जमीन मालिक जे. देवराजू मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) घोटाले के सिलसिले में गुरुवार को लोकायुक्त के समक्ष पेश हुए।
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इस मामले में मल्लिकार्जुन स्वामी को तीसरा आरोपी और देवराजू को चौथा आरोपी बनाया गया है। लोकायुक्त कार्यालय ने हाल ही में उन्हें 10 अक्टूबर को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया है।
लोकायुक्त उनसे जमीन की खरीद के संबंध में फर्जी दस्तावेज तैयार करने और कानून के उल्लंघन के आरोपों के बारे में पूछताछ करेंगे।
स्वामी ने मैसूर के बाहरी इलाके के केसारे गांव में देवराजू से विवादित 3.16 एकड़ जमीन खरीदी और उसे अपनी बहन पार्वती सिद्धारमैया को उपहार में दे दिया, जो इस मामले में दूसरी आरोपी हैं। बाद में, भूमि को मुडा ने अधिग्रहित कर लिया और भूमि के मालिक की जानकारी के बिना ही भूखंड वितरित कर दिए गए।
आरोप है कि देवराजू भूमि के वास्तविक मालिक नहीं हैं। भूमि के स्वामित्व के संबंध में फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए तथा उसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के परिवार को सौंप दिया गया।
यह भी आरोप लगाया गया है कि भूमि का रूपांतरण, भूमि अधिग्रहण और बाद में मैसूर के प्रमुख विजयनगर इलाके में 40 x 60 माप वाली 14 साइटों का आवंटन सीएम सिद्धारमैया के परिवार के पक्ष में किया जा रहा है।
इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कर रहा है। याचिकाकर्ताओं में से एक स्नेहमयी कृष्णा ने मुडा घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कहा था कि उन्हें लोकायुक्त संस्था पर भरोसा नहीं है, जो राज्य सरकार के अधीन आती है और लोकायुक्त के अधिकारी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मामले में मुख्य आरोपी की जांच नहीं कर पाएंगे।
भाजपा मुडा घोटाले को लेकर सीएम सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग कर रही है। हालांकि, सीएम सिद्धारमैया ने बार-बार कहा है कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे और उन्होंने विपक्षी नेताओं के इस्तीफे की मांग की है, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हैं। घोटाले के मामले में दूसरी आरोपी पार्वती सिद्धारमैया ने सभी 14 साइटों को मुडा को सौंप दिया है।
--आईएएनएस
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