बेंगलुरू। बेंगलुरू से आइसलैंड हवाई यात्रा कर रही तीस साल की भारतीय
श्रुति बसप्पा जब फ्रैंकफर्ट पहुंचीं तो एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों ने
जांच के दौरान उन्हें कपडे उतारने को कहा। हालांकि श्रुति के पति जो
आइसलैंड से ही हैं, जब पत्नी के जोर देने पर कमरे में आए तो
सुरक्षाकर्मियों ने उन दोनों को जाने दिया।
इस घटना के बाद श्रुति ने
गुस्से एक फेसबुक पोस्ट लिखा जिसमें उन्होंने 29 मार्च को हुई इस वारदात का
खुलासा करते हुए लिखा अगर हमारे साथ कोई यूरोपीय साथी हो तभी हम ब्राउन शक
के घेरे से बाहर होते हैं।
श्रुति ने बताया कि उनका पूरा बॉडी स्कैन किया गया लेकिन उसके बावजूद
सुरक्षाकर्मी नहीं रूके। श्रुति ने जांचकर्ताओं से कहा कि वह थपथपाकर उनकी
जांच कर सकते हैं और निवेदन किया कि ऎसा करते हुए वह सावधानी बरतें क्योंकि
उनकी हाल ही में पेट की सर्जरी हुई है। उनके साथ मेडिकल रिकॉर्ड भी मौजूद
थे लेकिन सुरक्षाकर्मी नहीं माने।
बसप्पा पिछले छह साल से यूरोप में रह रही हैं और उन्होंने इस वारदात को
पूरी तरह रंगभेद का मामला बताया जिसकी उन्हें आदत सी प़ड गई थी। लंबी सी
लाइन में किसी भी एक को चुनकर बाहर निकालना और उसकी जांच करना उनके लिए नई
बात नहीं रही लेकिन श्रुति ने साथ ही यह भी कहा कि इस बार जो हुआ उसने सारी
हदें पार कर दी।
आर्किटेक्ट श्रुति ने फेसबुक पर लिखा,मुझसे मेरे कपडे उतारने के
लिए कहा गया। क्या ये कोई नया नियम है। क्या इतना काफी नहीं था कि एक लाइन
में से आप अपनी मर्जी से किसी भी व्यक्ति को बाहर निकाल लेते हैं कि अब मैं
हाथ ऊपर करके अपने कपडे उतारे जाने का भी इंतजार करूं। क्या मुझे पैरों को
वैक्स करना होगा। क्या मुझे सोच समझकर यात्रा के लिए अंतरवस्त्र खरीदने
होंगे जो कि मेरे पति को रिझाने के लिए नहीं, बल्कि एयरपोर्ट पर होने वाले
इस तरह के घृणा भरे कृत्य को छुपाने के लिए होंगे जिसे अब नकारा नहीं जा
सकता।
एयरपोर्ट पर श्रुति बसप्पा ने सुरक्षा जांच के लिए अपने कपडे उतारने से
इंकार किया और वह अपने पति को अंदर बुलाए जाने की मांग करती रही। उन्होंने
बताया कि अधिकारियों के बात करने का लहजा तब बदल गया जब उन्होंने श्रुति के
पति को देखा जो कि एक आइसलैंडिक हैं। श्रुति लिखती हैं कि इसके तुरंत बाद
पूरी कार्यवाही मामूली जांच में बदलकर रह गई लेकिन सुरक्षा कर्मी के इस
रवैये ने मुझे और परेशान कर दिया।
उन्होंने लिखा,इसके बाद मैं खतरा नहीं रही। मैं सोचने पर मजबूर हो गई कि
अगर मैं अकेली होती या मेरे पति यूरोपीय नहीं होते तो क्या होता।
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