रांची। झारखंड में बिजली का संकट एक बार फिर गहरा रहा है। राज्य में स्थित दो पावर प्लांट अलग-अलग वजहों से ठप पड़ गए हैं, जबकि एक अन्य पावर प्लांट में जरूरत के मुताबिक कोयले की आपूर्ति न होने से उत्पादन प्रभावित होने के हालात पैदा हो गए हैं।
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राज्य को पिछले दो दिनों से डिमांड की तुलना में चार से पांच सौ मेगावाट बिजली कम मिल रही है। राज्य के नॉर्थ कर्णपुरा में प्रतिदिन करीब 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने वाली एनटीपीसी का पावर प्लांट तकनीकी गड़बड़ी की वजह से मंगलवार को ठप हो गया।
बताया जा रहा है कि इसके बॉयलर में लीकेज की समस्या आ गई है, जिसे दुरुस्त करने में दो-तीन दिनों का वक्त लग सकता है।
इस प्लांट से झारखंड को करीब 170 मेगावाट बिजली हासिल होती है, जबकि बाकी बिजली सेंट्रल पूल और बाहर के राज्यों को भेजी जाती है। बोकारो थर्मल स्थित दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पावर प्लांट से रविवार को उत्पादन बंद हो गया था।
दरअसल, यहां पावर प्लांट से निकल रही छाई कोनार नदी में बह रही थी। कई कोशिशों के बाद भी प्रबंधन इसे बंद नहीं कर पाया। इसके बाद स्थानीय प्रबंधन ने 500 मेगावाट क्षमता वाले इस प्लांट को बंद कर दिया। इसकी वजह से राज्य में डीवीसी कमांड एरिया के अंतर्गत आने वाले जिलों हजारीबाग, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, चतरा, गिरिडीह और कोडरमा में बिजली कटौती की जा रही है।
इन जिलों में डिमांड के हिसाब से बिजली नहीं मिल पा रही है। तेनुघाट स्थित राज्य सरकार का पावर प्लांट टीवीएएनएल (तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड) कोयले की कमी की समस्या से जूझ रहा है और यहां कभी भी उत्पादन ठप हो सकता है।
प्लांट के पास मात्र एक दिन का कोयला स्टॉक बचा है। यहां सीसीएल (सेंट्रल कोल फील्ड्स लि.) की ओर से कोयले की आपूर्ति होती है, लेकिन इसके एवज में टीवीएनएल पर 1400 करोड़ का बकाया हो जाने की वजह से सीसीएल ने कोयले की सप्लाई घटा दी है।
(आईएएनएस)
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