रांची। झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी पर दावा करते हुए मंगलवार को हजारों आदिवासी-मूलवासी तीर-धनुष, लाठी-भाला जैसे परंपरागत हथियारों और ढोल-नगाड़ों के साथ सड़क पर उतरे। उन्होंने इस पहाड़ी को 'मरांग बुरू' यानी देवता का पहाड़ बताते हुए इस स्थान को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से जारी नोटिफिकेशन का जोरदार विरोध किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सनद रहे कि यह पहाड़ी देश-दुनिया के जैन धर्मावलंबियों का सर्वोच्च तीर्थ स्थल है और इसे वे सम्मेद शिखर और शिखरजी के नाम से जानते हैं। इसे जैन तीर्थस्थल बनाए रखने की मांग को लेकर दिसंबर-जनवरी में जैनियों ने देश-विदेश के कई शहरों में प्रदर्शन किया था। इसके बाद बीते 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने पारसनाथ को इको सेंसेटिव टूरिज्म सेंटर का दर्जा देने वाले अपने 2019 के नोटिफिकेशन में संशोधन किया है और यहां मांस-मदिरा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। दूसरी तरफ झारखंड की राज्य सरकार ने इसे 2021 की अपनी पर्यटन नीति में धार्मिक पर्यटन स्थल घोषित कर रखा है।
अब आदिवासी समाज ने केंद्र और राज्य दोनों के नोटिफिकेशन पर विरोध जताते हुए आंदोलन शुरू कर दिया है। मंगलवार को पारसनाथ पहाड़ी की तराई में स्थित मधुवन में निकाली गई रैली में झारखंड के अलावा ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और असम के विभिन्न इलाकों के आदिवासी परंपरागत वेशभूषा में शामिल हुए। उन्होंने पहाड़ के एक किलोमीटर ऊपर अपने पूजा स्थल दिशोम मांझी थान के पास केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पुतले जलाए। बाद में मधुवन फुटबॉल मैदान में आयोजित हुई जनसभा में ऐलान किया गया कि यह सदियों से हमारा 'मरांग बुरू' है। हम यहां अपने देवता की पूजा हमेशा से करते आए हैं। यहां हम सफेद मुर्गा की बलि देते हैं। जैन तीर्थ स्थल के नाम पर कोई भी सरकार हमें हमारी परंपरा के अनुसार पूजा करने से नहीं रोक सकती।
संथाल आदिवासी समाज के नेताओं ने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकार अपने नोटिफिकेशन में इस स्थान को 'मरांग बुरू' घोषित करे, वरना यह आंदोलन नहीं थमेगा। जनसभा को झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम, झारखंड सरकार की पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव के अलावा अंतरराष्ट्रीय संथाल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश मुर्मू, पीसी मुर्मू आदि ने संबोधित किया।
रैली-प्रदर्शन की वजह से मधुवन बाजार मंगलवार को बंद रहा। पूरे इलाके में पुलिस-प्रशासन का भारी बंदोबस्त किया गया था। इसके पहले गत 8 जनवरी को गिरिडीह जिला प्रशासन ने इस स्थान से जुड़े विवाद को सुलझाने के लिए दोनों समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। इसमें कहा गया था कि यहां दोनों समाज के लोग अपनी-अपनी आस्थाओं और परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना करेंगे।
इस बीच झारखंड सरकार ने मंगलवार को इस स्थान को लेकर एक आधिकारिक सूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि कुछ खबरों में गिरिडीह के मरांग बुरू पर पूरी तरह जैनियों को कब्जा दिलाने की बात कही गई है। ऐसी खबर पूरी तरह असत्य, भ्रामक और तथ्यों से परे है। पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग, झारखंड के सचिव के हवाले से जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में मारांग बुरू को जैनियों के हवाले किए जाने संबंधी सूचना को निराधार बताया गया है।
--आईएएनएस
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