• Aapki Saheli
  • Astro Sathi
  • Business Khaskhabar
  • ifairer
  • iautoindia
1 of 1

हेमंत सोरेन के सामने कई घरेलू चुनौतियां, 2023 में होगा सियासी कौशल का बड़ा इम्तिहान

Many domestic challenges in front of Hemant Soren, there will be a big test of political skills in 2023 - Ranchi News in Hindi

रांची। झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी की गठबंधन सरकार आगामी 29 दिसंबर को अपने दो साल पूरे कर लेगी। कामकाज की कसौटी पर इस सरकार का मूल्यांकन चाहे जिस रूप में किया जाये, लेकिन यह बात बिल्कुल साफगोई के साथ कही जा सकती है कि इन दो वर्षों में हेमंत सोरेन ने अपनी पार्टी के साथ-साथ घटक दलों के गठबंधन के बीच खुद को मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित कर लिया है। कई विवादों और विपक्ष के लगातार हमलों के बावजूद उन्होंने अपनी सत्ता के किले पर कोई खरोंच नहीं आने दी। हेमंत सोरेन झारखंड की सियासत में गुरुजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन के पुत्र हैं। आज की तारीख में सोरेन परिवार राज्य का सबसे शक्तिशाली राजनीतिक घराना है और हेमंत सोरेन इस परिवार के सबसे बड़े झंडाबरदार हैं, लेकिन हाल के कुछ महीनों के घटनाक्रम बताते हैं कि उन्हें उनके परिवार के भीतर से चुनौती मिलने लगी है। माना जा रहा है कि आने वाले वर्ष में सोरेन परिवार का अंतर्विरोध और बढ़ सकता है और हेमंत सोरेन को परिवार से लेकर सियासत तक के मोर्चे पर कड़े इम्तिहान का सामना करना पड़ सकता है।

हेमंत सोरेन को अपने परिवार के भीतर से से ही किस तरह की चुनौती मिल रही है, इसे एक ताजा घटना से समझा जा सकता है। बीते 22 दिसंबर को समाप्त हुए झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में हेमंत सोरेन की बड़ी भाभी सीता सोरेन, जो दुमका के जामा विधानसभा क्षेत्र से जेएमएम की विधायक हैं, अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े करते हुए विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गयीं। स्पीकर रबींद्र नाथ महतो की पहल पर उन्हें धरना से उठाकर सदन में बुलाया गया, लेकिन यहां भी उन्होंने सरकार पर उनके उठाये सवाल का गलत जवाब देने का आरोप लगाया।

सीता सोरेन ट्वीटर पर खूब मुखर हैं। उन्होंने बीते दो वर्षों में अपनी ही पार्टी और सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा करते हुए लगभग 50 ट्वीट किये हैं। कई बार तो उन्होंने सीधे-सीधे पार्टी के अध्यक्ष और परिवार के मुखिया शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट करते हुए तल्ख शब्दों में सवाल खड़े किये। बीते 28 अक्टूबर को तो उन्होंने एक के बाद एक ताबड़तोड़ चार ट्वीट करते हुए पार्टी नेतृत्व पर हमला किया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "शिबू सोरेन जी आपके और स्वर्गीय दुर्गा सोरन जी के खून-पसीने से खड़ी की गई पार्टी वर्तमान मंब दलालों और बेईमानों के हाथों में चली गयी है, ऐसा प्रतीत हो रहा है। स्थिति अगर यही रही तो पार्टी कई गुटों में बंटती नजर आयेगी। दलालों और बेईमानों से पार्टी को बचाना अब सिर्फ आपके हाथों में है। जिस उम्मीद और आशा के साथ पार्टी की नींव रखी गई थी उसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सिर्फ आपके हाथो में है और किसी में नहीं।"

बीते 2 दिसंबर को भी उन्होंने हेमंत सोरेन को ट्वीट किया- "मुख्यमंत्रीजी, यह आम जनता और उसकी जनआकांक्षाओं की सरकार है, साथ ही जल, जंगल और जमीन की रक्षा वाली सरकार है। परंतु भ्रष्ट पदाधिकारियों के कारण जनता को बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। कृपया ऐसे भ्रष्ट पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करते हुए झारखंड को बचायें।"

आश्चर्यजनक यह है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से सीता सोरेन के इन ट्वीट्स पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। न तो शिबू सोरेन और और न ही हेमंत सोरेन ने इसपर कोई नोटिस लेते हैं। जाहिर है कि सोरेन परिवार के मुखिया शिबू सोरेन और अब परिवार एवं पार्टी के सबसे बड़े झंडाबरदार हेमंत सोरेन उन्हें कोई तवज्जो देने के मूड में नहीं हैं।

बता दें कि सीता सोरेन दुमका जिले के जामा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुनी गयी हैं, लेकिन राजनीति में उनकी एंट्री स्वाभाविक तौर पर नहीं हुई थी। उनके पति दुर्गा सोरेन एक दौर में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता होते थे। वह झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन के बड़े बेटे थे। शिबू सोरेन भी चाहते थे कि वह उनके उत्तराधिकारी के रूप स्थापित हों, लेकिन 21 मई 2009 को दुर्गा सोरेन की अस्वाभाविक स्थितियों में मृत्यु हो गयी। इसके बाद शिबू सोरेन ने धीरे-धीरे अपने दूसरे नंबर के बेटे हेमंत सोरेन को अपना राजनीतिक उत्तराधिकार सौंप दिया।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर दुर्गा सोरेन जीवित होते तो आज पार्टी और सरकार की कमान उन्हीं के हाथ में होती। दुर्गा सोरेन की मृत्यु के बाद सीता सोरेन सहानुभूति की लहरों पर सवार होकर विधानसभा पहुंचीं। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने लगातार दो बार जीत दर्ज कर अपने विधानसभा क्षेत्र में सियासी पकड़ बरकरार रखी। यह और बात है कि पार्टी के नये मुखिया हेमंत सोरेन के रहते अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर सीता सोरेन खास प्रभाव नहीं बढ़ा पायीं। 2019 में जब जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन की सरकार बनी तो सीता सोरेन को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, लेकिन हेमंत सोरेन ने उन्हें सरकार से दूर रखा। सीता सोरेन की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह यही रही।

जानकारों का कहना है कि अगर हेमंत सोरेन ने उन्हें मंत्री बनाया होता तो इससे उनका राजनीतिक वजन बढ़ता और ऐसे में वह उनके लिए बड़ी मुसीबत बन सकती थीं। आज भी भाभी सीता सोरेन के विरोध को हेमंत सोरेन तवज्जो नहीं देते तो इसके पीछे की रणनीति यही है कि उनकी राजनीतिक हैसियत को एक लक्ष्मण रेखा के दायरे में ही रखा जाये।

इस बीच इस साल विजयादशमी के दिन 15 अक्टूबर को हेमंत सोरेन के दिवंगत बड़े भाई स्व. दुर्गा सोरेन और विधायक सीता सोरेन की दो बेटियों जयश्री सोरेन और राजश्री सोरेन ने रांची में दुर्गा सोरेन सेना नामक संगठन का एलान किया। विजयश्री ने लॉ एवं राजश्री ने बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। दोनों बहनें और उनकी मां सीता सोरेन विभिन्न जिलों में इस संगठन के विस्तार की कोशिशों में जुटी हैं। हालांकि विजयश्री और राजश्री इसे गैर राजनीतिक संगठन बताती हैं, लेकिन माना जा रहा है कि यह झामुमो के समानांतर एक संगठन खड़ा करने और हेमंत सोरेन पर दबाव बनाने की कवायद है। इस संगठन की ओर अब तक आयोजित कोई दर्जन भर कार्यक्रमों में झारखंड में भ्रष्टाचार और जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई है।

सीता सोरेन की दोनों बेटियों ने झारखंड से जुड़े मुद्दों पर सरकार के रवैए को लेकर चाचा हेमंत सोरेन को कई बार ट्वीट भी किया है। माना जा रहा है कि सोरेन परिवार की तीसरी पीढ़ी राजनीति में दाखिल होने को तैयार है। वरिष्ठ पत्रकार सुधीर पाल कहते हैं कि चूंकि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने हेमंत सोरेन को घोषित या अघोषित तौर पर अपना उत्तराधिकारी बनाया है, इसलिए उनके रहते वह पार्टी, परिवार और सरकार के सबसे बड़े अगुआ बने रहेंगे।

सोरेन परिवार में हेमंत सोरेन के बाद दूसरी महत्वपूर्ण राजनीतिक शख्सियत हैं उनके छोटे भाई बसंत सोरेन। वह दुमका से विधायक हैं। उन्होंने कभी सीधे-सीधे हेमंत सोरेन को चुनौती नहीं दी है, लेकिन वह अपने तेवरों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं और पार्टी के भीतर उनके समर्थकों का एक बड़ा समूह है। बीते जनवरी महीने में दुमका में जेएमएम की प्रमंडलीय बैठक में सीएम हेमंत सोरेन की मौजूदगी में उनके भाई बसंत सोरेन ने आपा खो दिया था। उन्होंने कार्यकतार्ओं से कहा था कि आज सूबे में आपकी अपनी सरकार है इसके बाद भी अगर आप बात न सुनने वाले अफसरों की चप्पल-जूता की पिटाई नहीं कर पाते हैं तो ये अफसोस की बात है। हेमंत सोरेन इसपर असहज जरूर हुए थे, लेकिन वह अपने छोटे भाई को इसपर टोकने की हिम्मत नहीं कर पाये थे।

इधर राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी, सोरेन परिवार के अंतर्विरोधों को सियासी अवसर की तरह इस्तेमाल करने की ताक में है। लगभग ढाई महीने पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन को फ्लॉप मुख्यमंत्री करार देते हुए कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को नेतृत्व परिवर्तन करना चाहिए और हेमंत सोरेन की जगह उनके भाई बसंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। जाहिर है, रघुवर दास ने ऐसा बयान बहुत सोच-समझकर दिया था, लेकिन हेमंत सोरेन या बसंत सोरेन ने इसपर नोटिस तक नहीं लिया।

कुल मिलाकर, विषम परिस्थितियों और चुनौतियों का सामना करने की हेमंत सोरेन की अपनी स्टाइल है। विरोध के स्वर परिवार के भीतर से उठें या फिर बाहर से उसे हवा देने की सियासी कोशिश हो, उन्होंने अब तक खुद को एक कुशल राजनीतिक खिलाड़ी साबित किया है। यह देखना जरूर दिलचस्प होगा कि आनेवाले दिनों में पारिवारिक और सियासी मोचरें पर जिन चुनौतियों का सामना उन्हें करना है, उनसे वह कितनी कुशलता के साथ निपट पाते हैं।

--आईएएनएस

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

यह भी पढ़े

Web Title-Many domestic challenges in front of Hemant Soren, there will be a big test of political skills in 2023
खास खबर Hindi News के अपडेट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक और ट्विटर पर फॉलो करे!
(News in Hindi खास खबर पर)
Tags: hemant soren, many domestic challenges, will be a big test of political skills in 2023, hindi news, news in hindi, breaking news in hindi, real time news, ranchi news, ranchi news in hindi, real time ranchi city news, real time news, ranchi news khas khabar, ranchi news in hindi
Khaskhabar.com Facebook Page:

प्रमुख खबरे

आपका राज्य

Traffic

जीवन मंत्र

Daily Horoscope

Copyright © 2024 Khaskhabar.com Group, All Rights Reserved