नई दिल्ली/ रांची। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले और तीन मुख्यमंत्रियों लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र और मधु कोड़ा को जेल की सलाखों के पीछे भिजवाने में अहम भूमिका निभाने वाले सरयू राय आखिर किस बात को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास से भिड़ गए और क्यों उन्होंने मंत्री पद के साथ ही भाजपा छोड़ दी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सरयू राय ने चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया से कहा था कि अगर उन्हें पहले ही बता दिया जाता कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी तो वह शांत बैठ जाते, लेकिन पार्टी ने कहा कि टिकट दिया जाएगा और पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी लिस्ट निकल गई मगर उनका नाम नहीं था। इससे उन्हें लगा कि उन्हें अपमानित किया जा रहा है और टिकट नहीं मिलेगा। इसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा देकर रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। उनका कहना है कि टिकट काटने के पीछे रघुवर दास ही हैं।
मुख्यमंत्री से अनबन की बात पर उन्होंने कहा था कि 2005 में वह नगर विकास मंत्री थे। तब "नगर विकास में रांची के सीवरेज के काम के लिए सिंगापुर की एक कंपनी मेनहार्ट की नियुक्ति की गई। मामला विधानसभा की मेरी समिति के सामने आया, जिसकी मैंने जांच की और कहा कि यह नियुक्ति गलत है। अब तो पांच अभियंता समूह के पैनल ने रिपोर्ट दी कि मेनहार्ट की गलत नियुक्ति हुई है। विजिलेंस की तकनीकी सेल ने भी कह दिया कि नियुक्ति गलत थी। टेंडर प्रक्रिया भी गलत हुई। कायदे से तो कार्रवाई होनी चाहिए थी।"
मीडिया ने जब पूछा कि क्या रघुवर दास चौथे मुख्यमंत्री होंगे जिन्हें वे जेल भिजवाएंगे? इस पर उन्होंने कहा था, "खनन विभाग के मसले पर मैं मुख्यमंत्री जी से कह चुका हूं कि यह रास्ता मधु कोड़ा का रास्ता है और इस पर चलने वाला वहीं पहुंचता है जहां मधु कोड़ा गए थे। मैं नहीं चाहता कि चौथा मुख्यमंत्री मेरे हाथ से जेल जाए। क्योंकि मुझे बहुत तकलीफ होती है जब मैं लालू जी की हालत देखता हूं, मधु कोड़ा की हालत देखता हूं। लालू जी हमारे मित्र रहे हैं। मधु कोड़ा हमारे अच्छे राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं। इसलिए मैं बार-बार कहता हूं कि उस रास्ते पर मत चलिए।"
भारतीय राजनीति में सबसे चर्चित घोटालों में से एक पशुपालन घोटाले को उजागर करने वाले नेता का नाम सरयू राय है। उन्होंने 1994 में पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक संघर्ष किया। इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत कई नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा।
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