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झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- जेएसएससी परीक्षा से अंग्रेजी और हिंदी भाषा के पत्र क्यों हटाये गये?

Jharkhand High Court asked the state government - Why were English and Hindi language papers removed from JSSC exam? - Ranchi News in Hindi

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की नियुक्ति परीक्षाओं की नई नियमावली पर झारखंड सरकार और आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने बुधवार को इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सवाल पूछा कि आखिर लैंग्वेज पेपर से हिंदी एवं अंग्रेजी को हटाये जाने और सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों के लिए झारखंड से ही मैट्रिक एवं इंटर पास की अनिवार्यता की शर्त लगाये जाने का आधार क्या है? कोर्ट ने परीक्षा की नियमावली में राज्य सरकार द्वारा किये गये संशोधनों के बारे में तीन सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल कर पूरी जानकारी देने और इससे जुड़ी फाइल अदालत में पेश करने को कहा है।

जेएसससी परीक्षा की नयी नियमावली को चुनौती देते हुए रमेश हांसदा और कुशल कुमार की ओर से याचिका दायर की गयी है। बुधवार को इसपर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एस एन प्रसाद की अदालत ने पूछा कि भाषा के पत्र से हिंदी और अंग्रेजी को क्यों हटाया गया ? क्या सरकार के पास हिंदी भाषियों को लेकर कोई डाटा उपलब्ध है? अदालत ने यह भी कहा कि जब आरक्षित वर्ग के लोगों को राज्य के बाहर से मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं पास करने के बाद भी नियुक्ति में शामिल होने की छूट दी गई है तो सामान्य वर्ग को राज्य के बाहर के संस्थानों में योग्यता हासिल करने पर रोक क्यों लगाई गई है? अदालत ने आदेश दिया कि अगर नई नियमावली के तहत किसी प्रकार का विज्ञापन जारी किया जाता है, तो उसमें इस बात का जरूर जिक्र होना चाहिए कि इससे संबंधित याचिका हाईकोर्ट में लंबित है और याचिका के अंतिम परिणाम से नियुक्ति प्रभावित होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में दलील पेश करते हुए वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि यह नियमावली संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। अदालत ने मामले से संबंधित फाइल कोर्ट में पेश करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई 21 दिसंबर को निर्धारित की है।

बता दें कि अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार की ओर से बनाई गई नियमावली में उन अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए पात्र माना गया है जो राज्य के संस्थान से हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा पास करेंगे। यह नियम सिर्फ सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों के लिए होगा, जबकि आरक्षित श्रेणी के परीक्षार्थियों को इस शर्त से छूट हासिल होगी। याचिका में बताया गया है कि नयी नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है। उर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना राजनीतिक फायदे के लिए है। राज्य के सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का माध्यम भी हिंदी है। उर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग करते हैं। ऐसे में किसी खास वर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषी बाहुल अभ्यर्थियों के अवसर में कटौती करना संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है।

--आईएएनएस

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Web Title-Jharkhand High Court asked the state government - Why were English and Hindi language papers removed from JSSC exam?
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