रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने अपनी दावेदारी वाली सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारने के लिए जोड़-तोड़ प्रारंभ कर दिए हैं। हालांकि पिछले चुनाव से इस चुनाव में राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। करीब सभी राजनीतिक पार्टियों के कई नेता टिकट नहीं मिलने और हार के डर से अलग संभावना को देखते हुए ही अपना दल और पंथ बदल रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आयातित नेताओं के लिए निजाम बदलने के साथ ही उनके संकल्प भी बदल जा रहे हैं। वैसे, दल बदलने के साथ ही इन आयातित नेताओं की पूछ भी बढ़ रही है। इन आयातित नेताओं के कारण झारखंड में इस चुनाव में पिछले चुनाव की तुलना में स्थितियां बदलने की पूरी संभावना बताई जा रही है।
झारखंड के लातेहार विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रकाश राम वर्ष 2014 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) की ओर से चुनाव मैदान में थे, परंतु इस बार चुनाव से ठीक पहले उन्होंने झारखंड में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कमल थाम लिया है।
लातेहार के समीप डालटनगंज में भी पिछले चुनाव में झाविमो के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे आलोक चौरसिया ने कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को हराया था, परंतु बाद में सरकार बनने के कुछ माह बाद ही छह विधायकों के साथ उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।
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