इस दौरान टिकट बंटवारे में भी स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को तरजीह
नहीं दी गई, बल्कि अन्य दलों से आने वाले नेताओं को टिकट थमा दिया गया,
जिससे मतदाता नाराज हो गए और उसकी परिणति हार के रूप में सामने आई।
विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भाजपा अध्यक्ष
अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
शीर्ष
नेतृत्व ने चुनाव में भाजपा की हार पर रघुवर दास से नाराजगी जताते हुए
उन्हें नसीहत दी है। सूत्रों का दावा है कि रघुवर दास से शीर्ष नेतृत्व ने
कहा है कि सबको साथ लेकर चलने से ही चुनाव जीते जाते हैं। चतरा के सांसद
सुनील सिंह भी कहते हैं कि झारखंड में विकास के बाद भी हार को लेकर पार्टी
में मंथन का दौर जारी है। उन्होंने कहा कि पार्टी झारखंड में मिली गलतियों
से सबक सीखेगी और भविष्य में होने वाले चुनावों में गलतियों को सुधारकर
रणनीति बनाएगी।
उल्लेखनीय है कि रघुबर दास विधानसभा चुनाव में अपनी ही
पार्टी के एक प्रमुख नेता सरयू राय से हार गए। राय की पहचान न केवल कद्दावर
स्थानीय नेता की है, बल्कि एक ईमानदार छवि के नेता की भी है। भाजपा द्वारा
भ्रष्टाचारियों को टिकट देना भी मतदाताओं की नाराजगी का कारण रहा है।
(IANS)
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