रांची। बिहार की राजनीतिक में धाक जमाने वाले दलों को झारखंड के विधानसभा चुनाव में खोई प्रतिष्ठा वापस पाना चुनौती बना हुआ है। हालांकि, इन दलों के नेता झारखंड में अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) हो या बिहार में सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), दोनों जहां अपने खोई जमीन पाने के लिए छटपटा रही हैं, वहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपने जातीय समीकरण का जोड़-घटाव कर झारखंड में खाता खोलने के लिए व्यग्र दिख रही है।
वैसे, ये सभी दल झारखंड में भी अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग' के सहारे उन जातीय वर्ग में पैठ बनाने की कोशिश में हैं, जिससे वे अब तक बिहार में सफलता पाते रहे हैं।
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