रांची। बशीर ब्रद का शेर है दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिदा न हों। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) झारखंड में कुछ ऐसी ही रणनीति पर काम कर रही है। इस चुनाव में भले ही भाजपा और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (आजसू) के बीच 19 साल का पुराना रिश्ता टूट चुका है, परंतु भाजपा के रणनीतिकार भविष्य की रणनीति के तहत रिश्तों में गांठ आने देने से बच रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यही कारण है कि भाजपा ने अब तक सिल्ली से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। हालांकि इस चुनाव में भाजपा ने राज्य की कुल 81 विधानसभा सीटों में से अबकी बार, 65 पार का नारा दिया है। भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी इतना कुछ हो जाने के बाद भी रिश्तों की मर्यादा कायम रखना चाहती है कि जब जरूरत हो आजसू से मदद ली जा सके। सिल्ली आजसू प्रमुख सुदेश महतो की परंपरागत सीट रही है। इस सीट से आजसू ने एक बार फिर सुदेश महतो को ही उम्मीदवार बनाया है, जहां से अब तक भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
सूत्रों का दावा है कि भाजपा ने यहां उम्मीदवार नहीं देने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने चुनाव बाद की स्थिति के मद्देनजर अपनी रणनीति बनाई है। भाजपा के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि पार्टी को मालूम है कि चुनाव में अगर आशातीत सफलता नहीं मिलती है और बहुमत के लिए कुछ सीटें कम पड़ती हैं तो आजसू ही उन सीटों की मदद कर सकती है, बशर्ते आजसू उसमें सक्षम हो।
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