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जामतारा ने रच दिया इतिहास. सभी ग्राम पंचायतों में कम्युनिटी लाइब्रेरी

Jamtara created history. Community library in all gram panchayats - Ranchi News in Hindi

रांची। किताबों वाले जामताड़ा से मिलिए। यह स्याह चेहरे वाला जामताड़ा नहीं। यह वह जामताड़ा नहीं, जिसके माथे पर चंद साइबर क्रिमिनल्स की जमात के चलते बदनामी के गहरे दाग हैं। इससे अलग हटकर यह वो जामताड़ा है, जहां किताबों से मोहब्बत की एक अनूठी दास्तान रची जा रही है। तकरीबन डेढ़ साल पहले शुरू हुए इस अभियान में गांव-गांव में सैकड़ों छात्रों-युवाओं का कारवां जुड़ रहा है। इसी का नतीजा है कि जामताड़ा देश का संभवत: इकलौता ऐसा जिला है, जहां की सभी ग्राम पंचायतों में कम्युनिटी लाइब्रेरी है।
तकरीबन आठ लाख की आबादी वाले इस जिले में छह प्रखंडों के अंतर्गत कुल 118 ग्राम पंचायतें हैं और अब प्रत्येक पंचायत में एक सुसज्जित लाइब्रेरी है। हर लाइब्रेरी रोजाना सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुलती है और यहां अध्ययन के लिए बड़ी तादाद में जुटते हैं छात्र-युवा। यहां किसी रोज करियर काउंसिलिंग का सेशन चलता है तो कभी लगती है मोटिवेशनल क्लास। वक्त निकालकर आईएएस-आईपीएस भी यहां छात्रों का मार्गदर्शन करने पहुंचते हैं। ज्ञान की इन अभिनव पाठशालाओं में हर किसी का स्वागत है। किसी के लिए कोई फीस नहीं। एक-एक लाइब्रेरी का ब्योरा, जीपीएस लोकेशन, तस्वीरें और संपर्क नंबर जिले की ऑफिशियल वेबसाइट पर दर्ज है। यह सब कुछ पिछले डेढ़-दो साल के भीतर हुआ है और इस सुखद बदलाव के सूत्रधार हैं यहां के उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज।
इस मुहिम की शुरूआत की कहानी भी दिलचस्प है। जिले की चेंगईडीह पंचायत में ग्रामीणों की समस्याएं जानने के लिए जिला प्रशासन की ओर से जनता दरबार लगा था। एक ग्रामीण ने कहा कि इलाके में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं है। गांव के छात्र-युवा पढ़ना भी चाहें तो उन्हें न तो किताबें मिलती हैं और न ही उन्हें कोई राह दिखाने दिखाने वाला है। उपायुक्त फैज अक अहमद मुमताज के जेहन में यह बात गड़ गयी। उसी पल तय किया कि वे इस दिशा में कुछ जरूर करेंगे और इसके बाद 13 नवंबर 2020 को इसी पंचायत में एक अनुपयोगी पड़े सरकारी भवन में पहली कम्युनिटी लाइब्रेरी की शुरूआत हुई।
उपायुक्त ने जानकारी हासिल की तो पता चला कि प्रत्येक पंचायत में ऐसा कोई न कोई भवन जरूर है, जिसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इन भवनों का जीर्णोद्धार कर उन्हें लाइब्रेरी में बदलने की योजना पर उन्होंने तत्काल काम शुरू किया। कई कंपनियों और संस्थाओं के सीएसआर फंड के साथ-साथ 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत जिले को मिली राशि से ऐसे प्रत्येक भवन के जीर्णोद्धार और वहां लाइब्रेरी के लिए आधारभूत संरचनाएं मुहैया कराने पर 60 हजार से लेकर ढाई लाख रूपए तक खर्च किये गये। गांवों के लोगों को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी गयी।
चंदड्रीप, पंजनिया, मेंझिया, गोपालपुर, शहरपुरा, चंपापुर, झिलुआ.. तमाम पंचायतों में एक-एक कर लाइब्रेरी खुलती चली गयी। ग्रामीणों ने इसके प्रबंधन के लिए अपने बीच के लोगों से अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और लाइब्रेरियन का चुनाव किया। यह अभियान इतना लोकप्रिय हुआ कि गांव-गांव में युवा और प्रबुद्ध लोग खुद जुड़ते गये। फर्नीचर, पानी, बिजली, वाटर फिल्टर, ब्लैकबोर्ड से लेकर इमरजेंसी लाइट तक की व्यवस्था हुई। कई जगहों पर जरूरी किताबें खरीदी गयीं, तो कहीं दाताओं ने उपलब्ध करायीं। कोविड के दौरान जब स्कूल बंद थे, तब प्रत्येक लाइब्रेरी में छात्रों को पढ़ाने के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर से कम से कम दो शिक्षकों को बहाल किया।
उपायुक्त फैज अक अहमद बताते हैं कि इन लाइब्रेरियों में पिछले डेढ़ साल के दौरान 10 हजार से भी ज्यादा करियर गाइडेंस और मोटिवेशनल सेशन आयोजित हुए हैं। विभिन्न विभागों के अफसर भी वक्त निकालकर क्लास लेने पहुंचते हैं। अब साढ़े तीन सौ से भी ज्यादा शिक्षक इन लाइब्रेरियों से जुड़ गये हैं, जो नियमित तौर पर छात्रों-युवाओं को गाइड करते हैं। तकरीबन पांच हजार छात्र-युवा लाइब्रेरियों के नियमित सदस्य हैं। लाइब्रेरियों में प्रतियोगी परीक्षाओं और सामान्य पाठ्यक्रमों के अलावा साहित्य, इतिहास, आध्यात्म और मोटिवेशनल किताबें भी मौजूद हैं।
उपायुक्त फैज अहमद इस पहल की सफलता से उत्साहित हैं। वह कहते हैं कि सबसे अच्छा समाज वही है, जो शिक्षा और स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा इन्वेस्ट करता है। हमारी कोशिश है कि समाज के सक्षम लोग इन लाइब्रेरियों को गोद लें।
इस अभियान के सार्थक नतीजे सामने आने लगे हैं। लाइब्रेरियों में रोज पढ़ाई करने वाले कई छात्रों के प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलताओं की सूचनाएं मिलने लगी हैं। एक लाइब्रेरी के सदस्य ने यूपीएससी सिविल सर्विस की मेन्स परीक्षा पास कर ली है और अब इंटरव्यू की तैयारियों में जुटा है। जियाजोरी पंचायत लाइब्रेरी में पढ़ाई करने वाले अजहरुद्दीन ने झारखंड सरकार की पंचायत सचिव परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। खैरा पंचायत स्थित लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन गौर चंद्र यादव बताते हैं कि उनके यहां नवंबर 2020 में लाइब्रेरी खुली तो इसके बाद से आस-पास के छात्रों की दिनचर्या बदल गयी। कई छात्र तो रोज आते हैं।
बीते 20 अप्रैल को झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग की सात सदस्यीय समिति ने इन लाइब्रेरियों के मॉडल का जायजा लिया। विभाग के उप सचिव शंभुनाथ मिश्र के नेतृत्व में समिति ने जियाजोरी व शहरडाल स्थित पुस्तकालयों का भ्रमण किया। समिति के लोग लाइब्रेरियों की व्यवस्था से बेहद प्रभावित हुए।
झारखंड विधानसभा के स्पीकर रबींद्रनाथ महतो इसी जिले के नाला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां खुली कई पुस्तकालयों का उद्घाटन उन्होंने ही किया। वह कहते हैं कि पुस्तकालयों के जरिए जामताड़ा जिले की पहचान बदलने की कोशिश सार्थक साबित हो रही है। यह मॉडल राज्य के दूसरे जिलों में भी अपनाया जाना चाहिए।
बता दें कि जामताड़ा 19वीं शताब्दी के महान समाज सुधारक और शिक्षाविद ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कर्मभूमि रही है। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी दो दशक जामताड़ा के करमाटांड़ में शिक्षा का अलख जगाते हुए गुजारे थे। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुस्तकालयों के इस अभिनव अभियान से जामताड़ा की पुरानी पहचान लौटेगी।
--आईएएनएस

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Web Title-Jamtara created history. Community library in all gram panchayats
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