नई दिल्ली/रांची। झारखंड में एक बार फिर से त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं। इस स्थिति में जेवीएम के बाबूलाल मरांडी और आजसू के सुदेश महतो अगली सरकार में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह संकेत आईएएनएस-सीवोटर-एबीपी एग्जिट पोल की ओर से शुक्रवार को राज्य के पांचवें व आखिरी चरण के मतदान के बाद जारी किए गए एग्जिट पोल से मिले हैं।
आईएएनएस-सीवोटर-एबीपी एग्जिट पोल राज्य के 81 विधानसभा क्षेत्रों के 38,000 मतदाताओं से बातचीत के आधार पर है। एग्जिट पोल में झारखंड में हुए सभी पांच चरणों के मतदान को शामिल किया गया है।
एग्जिट पोल के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी के 28 से 36 सीटें जीतने की उम्मीद है, जो 2014 की 37 सीटों से कम है।
विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन को 31 से 39 सीटों के बीच मिल सकती है। इस तरह से अगर यही स्थिति रही तो सरकार बनाने में आजसू और जेवीएम जैसे क्षेत्रीय दलों की भूमिका काफी बढ़ जाएगी।
सी-वोटर के यशवंत देशमुख ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि अगर भाजपा को 30 से कम सीटें मिलती हैं तो पार्टी के लिए सरकार बनाना मुश्किल होगा, क्योंकि उन्हें पार्टी के पूर्व नेता और मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी व सहयोगी रहे सुदेश महतो से समर्थन की उम्मीद नहीं है।
माना जा रहा है कि आदिवासी चेहरे का न होना भाजपा को महंगा पड़ा है। राज्य के आदिवासी इलाकों में जिस तरह से मतदान हुआ है, इससे यह देखा जा सकता है।
इसके अलावा विधानसभा चुनाव में मोदी मैजिक भी काम करता नहीं दिख रहा है क्योंकि यह देखा गया है कि इस साल लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने वाले लोगों ने भी विधानसभा चुनावों में पार्टी को वोट नहीं दिया।
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