श्रीनगर। कश्मीर विश्वविद्यालय और श्रीनगर मुख्यालय(सेना के 15वें कोर) के बीच विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के लिए सोमवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। अपनी तरह के पहले एमओयू पर कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलपति तलत अहमद और लेफ्टिनेंट जनरल, डी.पी. पांडे, 15 कोर के जीओसी ने हस्ताक्षर किए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, "जैसा कि समझौता ज्ञापन में परिकल्पित है, कश्मीर में तैनात भारतीय सेना के सैनिक, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे।"
"सेना कर्मियों को उपलब्ध कराए जा रहे पाठ्यक्रमों के प्रकार छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर एक साल के डिप्लोमा कोर्स और दो साल के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स हैं। सेना के जवानों द्वारा नामांकन के लिए वर्तमान में कुल 18 कोर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें नियत समय पर बढ़ाया जाएगा।"
समझौता ज्ञापन पर औपचारिक हस्ताक्षर के बाद, प्रोफेसर तलत अहमद ने सभा को संबोधित किया और विश्वविद्यालय के मूल मूल्यों पर जोर दिया और कहा कि इससे कश्मीर में तैनात सैनिकों को फायदा होगा।
लेफ्टिनेंट जनरल डी.पी. पांडे ने अपने संबोधन में शिक्षा के क्षेत्र में हासिल किए गए इस मील के पत्थर की प्रशंसा की, जो चिनार कोर के सैनिकों को चुनौतीपूर्ण माहौल में अपने कर्तव्यों का पालन करने में सशक्त बनाएगा।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव जाति के विकास की नींव है और राष्ट्र निर्माण के लिए हमारे पास सबसे शक्तिशाली उपकरण है। उन्होंने उल्लेख किया कि कश्मीर विश्वविद्यालय, अपनी समृद्ध विरासत, संस्कृति और शिक्षा के साथ, चिनार कोर के सैन्य कर्मियों और नागरिक सुरक्षा कर्मचारियों के लिए उच्च शिक्षा, डोमेन विशेषज्ञता और विषय वस्तु विशेषज्ञता हासिल करने के लिए एक तरह का अवसर प्रदान करेगा।
जीओसी ने इस बात पर भी जोर दिया कि कश्मीर विश्वविद्यालय के साथ चिनार कॉर्प्स का जुड़ाव पिछले 75 वर्षों में कश्मीर के लोगों के साथ भारतीय सेना के बंधन को और मजबूत करेगा।
--आईएएनएस
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