बयान के अनुसार, ‘‘भारत सरकार लगातार इस बुनियादी बात और जमीनी स्थिति को
नकारती रही है। किसी भी ऐसी वार्ता प्रक्रिया में शामिल होना निरर्थक है जो
यही नहीं माने कि कश्मीर विवादित मुद्दा है जिसका समाधान होना
चाहिए।’’बयान के अनुसार, ‘‘जबतक कश्मीर समस्या और इसके ऐतिहासिक संदर्भो को
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के परिपेक्ष्य में समझा नहीं जाता है, न ही
जम्मू एवं कश्मीर और न ही उपमहाद्वीप में शांति स्थापित हो सकता
है।’’अलगाववादियों ने शर्मा के जम्मू एवं कश्मीर को ‘सीरिया बनने से रोकने’
के बयान की कड़े शब्दों में निंदा की है। शर्मा ने साक्षात्कार में यह
टिप्पणी की थी। ये भी पढ़ें - Beas Tragedy : अब तक सबक नहीं सीख पाया Himachal
बयान के अनुसार, ‘‘कश्मीर के 70 वर्ष पुराने
राजनीतिक और मानवीय मुद्दे की सीरिया में सांप्रदायिक युद्ध और सत्ता
संघर्ष से तुलना करना एक धूर्तता और प्रोपेगेंडा है। दोनों स्थितियों में
कोई समानता नहीं है।’’ जम्मू एवं कश्मीर के लिए स्वायत्तता की मांग कर रहे
विपक्षी नेता पी. चिदंबरम के बयान को लेकर हुए विरोध पर प्रतिक्रिया देते
हुए बयान में कहा गया है, ‘‘राज्य में स्वायत्तता बहाल करने के निर्णय पर
उनके अपने नेताओं की मांग को भारत सरकार ने खारिज कर दिया जबकि उनके अपने
संविधान में इसकी गारंटी दी गई है।’’
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