हालांकि डार ने खुद को शॉल बुनकर बताया है। उसका दावा है कि वह पत्थरबाजी
में शामिल नहीं था, बल्कि वोट डालकर घर वापस लौट रहा था। जम्मू-कश्मीर के
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट के जरिए एक वीडियो शेयर किया था,
जिसमें भारतीय सेना के जवान एक कश्मीरी युवक को जीप के आगे बांधकर घुमा
रहे थे। दरअसल, सेना इस युवक का इस्तेमाल पत्थरबाजों से बचने के लिए मानव
ढाल की तरह कर रही थी। वीडियो के सामने आने के बाद मानवाधिकारवादी संगठन और
तमाम राजनीतिक दल इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी
इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में
(पीएमओ) में राज्यमंत्री उधमपुर से सांसद जितेंद्र सिंह ने एक अखबार को
बताया कि सरकार का मानना है कि सेना को राजनीतिक निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने घाटी में कश्मीरी नेताओं को आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप
लगाया। उन्होंने कहा कि ये लोग नैतिकता की बलि चढ़ा चुके हैं। आतंकवाद को
बढ़ावा देने वाले अपराधियों की आलोचना करने के बजाय ये नेता सेना के जवानों
को सॉफ्ट टारगेट बना रहे हैं। सेना ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को
रोकना मुश्किल था, क्योंकि यूनिट को सैकड़ों प्रदर्शनकारी घेरे हुए थे और
वे हिंसा पर उतारू थे। स्थिति बिगडऩे पर उस व्यक्ति को गाड़ी के आगे बांध
दिया गया।
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