श्रीनगर/नई दिल्ली। कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा एक युवक को जीप पर बांध
मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करने के मामले में कश्मीर पुलिस ने भारतीय
सेना की एक यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि
सरकार ने इस मामले में सेना के अधिकारी का साथ देने का फैसला किया है।
सरकार ने यह फैसला 9 अप्रैल की इस घटना पर सेना की जांच रिपोर्ट आने के बाद
लिया है। सरकार का मानना है कि सेना के अफसर ने मुश्किल हालात में सुरक्षा
के मद्देनजर यह फैसला लिया था। रक्षा मंत्री अरुण जेटली इस मुद्दे पर सेना
कमांडरों से बात कर सकते हैं, सरकार ने सेना के कदम की तारीफ की है।
रिपोर्ट
में कहा गया है कि अधिकारी ने मुश्किल परिस्थिति से बचने और जवानों तथा
अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनिच्छा से यह फैसला किया था।
इस यूनिट में करीब एक दर्जन राज्य सरकार के कर्मचारी थे। इसके अलावा
आईटीबीपी के 9-10 जवान, जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान और एक बस चालक शामिल
था। जिस रास्ते से इस काफिले को गुजरना था वहां पत्थरबाजों की भीड़ थी और
वे छतों पर खड़े थे। सरकार इस विवादित फैसले को असाधारण परिस्थिति में
उठाया हुआ कदम बता रही है, जिसमें यूनिट हेड को मुश्किल फैसला करना पड़ा।
बता दें कि सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर ने जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों,
अर्द्धसैनिक बलों के जवानों और सेना की यूनिट की सुरक्षा के लिए भीड़भाड़
वाले इलाके से गुजरने के दौरान एक व्यक्ति को जीप के आगे बंधवा दिया था
ताकि गाडिय़ों के काफिले को पत्थरबाजी और बिना किसी फायरिंग के गुजारा जा
सके। जीप पर बांधे गए शख्श फारुक अहमद डार (26) को सेना कथित पत्थरबाज बता
रही है।
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