श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर में नजरबंद मुख्य धारा के कई राजनीतिक नेताओं के लिए वर्तमान में स्थिति और भी बदतर हो सकती है। केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन की जिम्मेदारी संभाल रहे उप राज्यपाल जी. सी. मुर्मू जनवरी का महीना खत्म होने से पहले अधिकांश नजरबंद नेताओं को रिहा करने के लिए विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मगर उच्च पदस्थ सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि इनमें से कई हिरासत में लिए गए राजनेताओं, जिन्होंने पिछली राज्य सरकारों में मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण विभागों को संभाला है, को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है। इन नेताओं पर फर्जी काम आवंटन, भारी सरकारी सब्सिडी की अदला-बदली और साथ ही सरकारी पद के घोर दुरुपयोग और सरकारी धन की लूट से संबंधित मामलों में कार्रवाई हो सकती है।
श्रीनगर नगर निगम के पूर्व महापौर (मेयर) शेख इमरान को पिछले हफ्ते नजरबंदी से रिहा करने के तुरंत बाद एसीबी अधिकारियों ने अपनी हिरासत में ले लिया था। इमरान पर उनके एक व्यवसाय में बिल और चालान से संबंधित आरोप हैं। इमरान ने जिस निवेश के लिए सरकार से भारी सब्सिडी प्राप्त की, वह उन्होंने कभी किया ही नहीं था।
सूत्रों ने कहा कि राज्य के उद्योग विभाग के कुछ अधिकारियों, जिन्होंने इमरान को सब्सिडी का दावा करने में मदद की, उन पर भी मामला दर्ज किया जा सकता है। अभी भी मुख्य धारा से जुड़े विभिन्न दलों के 29 राजनीतिक नेता हैं, जो श्रीनगर में एमएलए हॉस्टल के अंदर नजरबंद हैं। राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी अनुच्छेद-370 हटाए जाने पर 5 अगस्त, 2019 से नजरबंद हैं।
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